केंद्रीय गृह मंत्री शुक्रवार सुबह चुनापूर हवाई अड्डा पहुंचेंगे। वहां से सीधे पूर्णिया के रंगभूमि मैदान आएंगे। यहां दोपहर 12 बजे रैली शुरू होगी, जो 3 बजे तक चलेगी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को सीमांचल के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस क्रम में शाह पूर्णिया में जनभावना रैली को संबोधित करेंगे। वहीं, किशनगंज में बिहार भारतीय जनता पार्टी की ओर से आयोजित दो अलग-अलग बैठकों में हिस्सा लेंगे। शनिवार को भी शाह किशनगंज में रहेंगे।
बिहार में जनता दल यूनाइटेड से गठबंधन टूटने के बाद अमित शाह के इस पहले दौरे के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। चर्चा है कि शाह की पूर्णिया में रैली का बिहार से झारखंड और बंगाल तक संदेश जाएगा। बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मिशन-35 का शंखनाद भी करेंगे।
लोकसभा चुनाव की प्रभावी रणनीति पर नजर
बीजेपी सीमांचल के बहाने राजनीति की ऐसी बिसात बिछाना चाहती है, जिससे जातीय गोलबंदी की बजाय हिन्दुओं का ऐसा ध्रुवीकरण हो, जिसकी गूंज बिहार से बंगाल तक सुनाई पड़े। अमित शाह दो दिनी दौरे में बिहार की जमीनी और अंदरूनी हकीकत जानने का प्रयास करेंगे। चुनाव की प्रभावी रणनीति तैयार करने में अमित शाह कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे। संभावना है कि रैली के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर ध्रुवीकरण की राजनीति को धार दी जाएगी।
रैली से बड़ा संदेश देने की कोशिश में बीजेपी
सीमांचल की रैली से शाह सीएए, एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ और रोहिंग्या का मुद्दा उछाल सकते हैं। दरअसल, सीमांचल के तीन जिले पूर्णिया, अररिया और किशनगंज सीधे तौर पर पश्चिम बंगला के कई जिलों से जुड़े हैं। इस लिहाज से बीजेपी शाह की रैली से बड़ा संदेश देने की कोशिश में जुटी है।
सीमांचल में बीजेपी पर महागठबंधन भारी
अभी सीमांचल में महागठबंधन भारी है। पूर्णिया प्रमंडल में लोकसभा की चार सीटें हैं- पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया। 2019 में राजग को चार में से तीन सीटें मिली थीं। इनमें अररिया सीट बीजेपी, पूर्णिया और कटिहार सीट जेडीयू के खाते में हैं। किशनगंज कांग्रेस के पास है। बीजेपी बिहार में लोकसभा चुनाव ही नहीं, 2025 के विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर आगे बढ़ रही है।
बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे शाह
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बीजेपी को बिहार के सत्ता से बाहर करने को लेकर कैडर आधारित मतदाताओं के साथ बीजेपी कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। शाह की रैली उनमें जोश भरने का काम करेगी। बीजेपी चूंकि कैडर आधारित पार्टी है, इसलिए शाह पार्टी पदाधिकारियों को कार्यकर्ताओं और जनता से सीधे संवाद शुरू करने और बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने का निर्देश दे सकते हैं।