भारतीय कार बाजार में हिस्सेदारी के लिहाज से मारुति सुजुकी अभी भी नंबर वन पर बरकरार है, लेकिन हालिया समय में इस कंपनी की बाजार हिस्सेदारी कम होकर 40 फीसदी से भी नीचे आ गई है.

भारतीय कार बाजार की तस्वीर अब तेजी के साथ बदलती दिखाई दे रही है. जहां एक तरफ सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा दे रही है तो दूसरी ओर ग्राहकों की पसंद भी दिन पर दिन बदलती जा रही है. बता दें कि छोटी कारों के लिए फेमस भारतीय ग्राहक अब एसयूवी कार खरीदना सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इन सारे फैक्टर्स का असर भारतीय कार बाजार पर साफ-साफ देखने को मिल रहा है. जहां टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी भारतीय कार कंपनियों को इसका सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है, वहीं विदेशी कार कंपनियों की बाजार में हिस्सेदारी लगातार कम होती जा रही है.
बता दें कि भारतीय कार बाजार में हिस्सेदारी के लिहाज से मारुति सुजुकी अभी भी नंबर वन पर बनी हुई है, लेकिन हालिया समय में इस कंपनी की बाजार हिस्सेदारी तेजी से कम हुई है. कभी भारतीय कार बाजार पर यह कंपनी राज करती थी और अकेले आधी से ज्यादा कारें बेच लेती थी. वहीं अब स्थिति यह है कि मारुति सुजुकी की बाजार हिस्सेदारी कम होकर 40 फीसदी से भी नीचे आ गई है. जो कि पिछले तीन साल के दौरान मारुति सुजुकी की भारतीय कार बाजार में हिस्सेदारी में 8 फीसदी की गिरावट है.
टाटा की कारों की बढ़ रही डिमांड
भारतीय कार बाजार में आ रहे इस बदलाव से सबसे ज्यादा फायदा टाटा मोटर्स को हुआ है. टाटा मोटर्स ने एसयूवी की बढ़ती डिमांड को देखते हुए नेक्सन , हैरियर और पंच जैसे मॉडल लॉन्च किए. नेक्सन को तो भारतीय ग्राहकों ने खूब पसंद किया. इसका इलेक्ट्रिक अवतार नेक्सन ईवी भारतीय बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार है. वहीं टाटा की पंच वैसे ग्राहकों को पसंद आ रही है, जो कम बजट में एसयूवी का आनंद उठाना चाहते हैं. टाटा मोटर्स ने सेफ्टी के मामले में भी अहम बदलाव की अगुवाई की है. सेफ्टी रेटिंग को लेकर उदासीन भारतीय बाजार में टाटा ने एक के बाद एक फाइव स्टार सेफ्टी रेटिंग वाली कारें लॉन्च की है. जिसकी बाजार में सबसे ज्यादा मांग की जा रही है.
विदेशी कंपनियों के लिए कड़ी चुनौती
भारतीय कार बाजार में टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी देसी कंपनियों को यह कामयाबी ऐसे समय पर मिली है, जब ओवरऑल कार मार्केट में कमजोरी दर्ज की जा रही है. मारुति सुजुकी 2019-20 तक कुल 50% मार्केट पर काबिज थी, लेकिन अब इसकी बाजार हिस्सेदारी कम होकर 40% के भी नीचे आ गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि मारुति की SUV सेगमेंट में बेहद कम हिस्सेदारी है. इसके साथ ही डीजल कारों का उत्पादन बंद करने से भी मारुति सुजुकी का मार्केट शेयर कम हो गया है. महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स की इस कामयाबी से हुंडई और मारुति सुजुकी के अलावा टोयोटा, होंडा और फॉक्सवैगन जैसी दूसरी विदेशी कार कंपनियों को भी कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.