इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने बताया कि समरकंद में पीएम मोदी की उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति समेत दूसरे कई अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता प्रस्तावित है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि उनकी शी जिनपिंग से बातचीत होगी या नहीं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में शामिल होंगे. SCO शिखर बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समरकंद दौरा करीब 24 घंटे से भी कम वक्त का होगा. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ किसी द्विपक्षीय बैठक या मुलाकात और पाकिस्तानी पीएम से मिलने पर अभी विदेश मंत्रालय की चुप्पी है.
गुरुवार को दिल्ली से समरकंद निकलने के बाद पीएम मोदी ने एक बयान में कहा, “मैं उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति महामहिम श्री शावकत मिर्जियोयेव के आमंत्रण पर शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की बैठक में भाग लेने के लिए समरकंद का दौरा करूंगा. मैं सामयिक, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों, एससीओ के विस्तार, संगठन के भीतर बहुआयामी और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को और गहरा बनाने के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए उत्सुक हूं.
शहबाज शरीफ से नहीं होगी पीएम मोदी की मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात नहीं करेंगे. पहले दोनों नेताओं की मुलाकात के कयास लगाए जा रहे थे. भारत सरकार के सूत्र ने स्पष्ट किया कि चूंकि आतंकवाद पर पाकिस्तान के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है और भारत का यह स्टैंड है कि आतंकवाद और बातचीत दोनों एक साथ नहीं चल सकते, ऐसे में पीएम मोदी और शहबाज शरीफ के बीच मुलाकात नहीं होगी.

भारत ने कहा- सबको पता है कहां से आ रहा आतंकवाद
समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले भारत ने आतंकवाद को लेकर अपनी दो टूक राय व्यक्त की. पाकिस्तान का नाम लिए बगैर विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने शुक्रवार को कहा, सब जानते हैं कि आतंकवाद कहां से आ रहा है और सीमापार से हमलों के पीछे कौन है. एससीओ और इसके आतंकरोधी क्षेत्रीय ढांचे आरएटीएस का सदस्य होने के बावजूद पाकिस्तान के आतंकवाद को पनाह देने के सवाल पर क्वात्रा ने कहा, अलग.अलग देश क्षेत्र में आतंकवाद की चुनौतियों को कैसे लेते हैं इसे समझने के कई तरीके हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान आतंक से सीधे जुड़ा है. एससीओ के देश आतंक के प्रति गंभीर समझ दिखाते हैं. उससे निपटने के लिए सहयोग पर जोर देते हैं.
भारत के विदेश सचिव ने कहा, अक्टूबर में आरएटीएस की कार्यकारी परिषद का अध्यक्ष बनने के बाद से भारत एससीओ में आतंकी, चरमपंथी व अलगाववादी संगठनों व व्यक्तियों का रजिस्टर बनाने पर जोर दे रहा है. आरएटीएस के निदेशक मिर्जेव रुस्लान एर्किनोविच ने कुछ दिन पहले ही एनएसए अजीत डोभाल और विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी से मुलाकात में आतंकी रजिस्टर तैयार करने पर चर्चा की थी. उन्होंने जैश.ए.मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव में अड़ंगा लगाने के लिए चीन पर भी निशाना साधा.
बदले तेवर के साथ शिरकत कर रहा भारत
इस बैठक से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था, अब न तो दुनिया में कोई गुट निरपेक्ष है और न ही सिर्फ दो ही महाशक्तियां हैं. भारत की अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है. यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने रूस के प्रति अमेरिका, यूरोपीय देशों से अलग नीति अपनाई और दबाव के बावजूद माॅस्को के साथ तेल आयात बंद नहीं किया. ऐसे में पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति से द्विपक्षीय वार्ता को बेहद अहम माना जा रहा है. एससीओ में इस समय रूस, ताजिकिस्तान, चीन, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान का इस समूह में साल 2017 में प्रवेश हुआ. इस साल ईरान के साथ डायलॉग पार्टनर के तौर पर चार अरब देशों समेत 6 नए देशों की एंट्री हुई है. इस प्रकार 15 देशों का एससीओ सबसे बड़ा क्षेत्रीय सहयोग संगठन बन गया है.