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बीपीसीएल के निजीकरण का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं, पेट्रोलियम मंत्री ने दी जानकारी

बीपीसीएल के लिए सरकार को तीन शुरुआती बोलियां मिली थीं लेकिन वित्तीय बोली सिर्फ वेदांता समूह ने ही लगाई। ऐसे में सरकार ने मई, 2022 में बीपीसीएल के निजीकरण की अपनी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बृहस्पतिवार को संकेत दिए कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन निगम लि. (बीपीसीएल) का निजीकरण निकट भविष्य में नहीं होने जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई भी प्रस्ताव अभी विचाराधीन नहीं है. सरकार ने नवंबर, 2019 में अपनी एसेट मॉनिटाइजेशन स्कीम के तहत बीपीसीएल की बिक्री करने का प्रस्ताव रखा था. उस समय सरकार ने कहा था कि वह इस सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी में अपनी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री करेगी. बीपीसीएल के लिए सरकार को तीन शुरुआती बोलियां मिली थीं लेकिन वित्तीय बोली सिर्फ वेदांता समूह ने ही लगाई. ऐसी स्थिति में सरकार ने मई, 2022 में बीपीसीएल के निजीकरण की अपनी योजना को ठंडे बस्ते में डालने की घोषणा कर दी.

बीपीसीएल की बिक्री का प्रस्ताव नहीं

पुरी ने इस बारे में सरकार की भावी योजना के बारे में पूछे जाने पर कहा, जब केवल एक बोलीदाता ही होगा तो प्रतिस्पर्द्धी निविदा की प्रक्रिया के तहत किस तरह बिक्री हो सकती है? आपको पता है कि विनिवेश योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का काम सिर्फ प्रशासनिक मंत्रालय ही नहीं करते हैं, इसके दीपम भी शामिल होता है. लेकिन जहां तक मेरी जानकारी का सवाल है तो फिलहाल बीपीसीएल की बिक्री का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. वही दीपम ने एक बयान मे कहा कि दुनिया भर के एनर्जी मार्केट की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए कई निवेशक निवेश प्रक्रिया से दूर बने हुए हैं. केंद्रीय मंत्री के इस बयान से उन सभी अटकलों पर विराम लग गया है जिसमें कहा जा रहा था कि केंद्र सरकार बीपीसीएल की विनिवेश प्रक्रिया को फिर से शुरू करने जा रही है.

निजीकरण प्रक्रिया में अबतक क्या हुआ

2020 की शुरुआत तक सरकार इस बात को लेकर निश्चित थी कि बीपीसीएल का निजीकरण एयर इंडिया से भी पहले हो जाएगा. उस वक्त कंपनी की मुनाफे की स्थिति को देखते हुए सरकार को उम्मीद थी कि निवेशक बीपीसीएल को लेकर काफी उत्साहित होंगे. हालांकि महामारी की वजह से न केवल बीपीसीएल की निजीकरण की प्रक्रिया में काफी देरी हुई साथ ही निवेशको की तरफ से वो रिस्पॉन्स नहीं मिला जिसकी उम्मीद की जा रही थी. महंगे कच्चे तेल और पेट्रोल और डीजल की दरों में कोई बदलाव न होने से बीपीसीएल को पहली तिमाही में करीब 6300 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है. हालांकि इस दौरान आय करीब 90 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 1.38 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.

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Pooja Pandey

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