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सऊदी अरब फिर बना भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर,रूस को पीछे छोड़ा

अगस्त के महीने में भारत ने सऊदी से 8.63 लाख बैरल तेल प्रति दिन के हिसाब से खरीदा है. जो कि जुलाई के मुकाबले 4.8 प्रतिशत अधिक है. वहीं दूसरी तरफ इसी महीने में रूस से तेल की खरीद 8.55 लाख बैरल तेल प्रति दिन के हिसाब से रही है

सऊदी अरब एक बार फिर भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया है. इंडस्ट्री से मिले आंकड़ों और सूत्रों के मुताबिक अगस्त के महीने में सऊदी ने कच्चे तेल की सप्लाई के मामले में रूस को पीछे छोड़ दिया है. हालांकि ये अंतर बेहद मामूली रहा है. अगस्त के दौरान रूस से सप्लाई घटी है. बाजार के जानकारों के मुताबिक इस कदम के पीछे भारत की अपनी कच्चे तेल खरीद की रणनीति है. दरअसल माना जा रहा है कि रूस अब डिस्काउंट को घटा रहा है वहीं सऊदी के साथ कॉन्ट्रैक्ट की कुछ शर्तें हैं दोनो स्थितियों देखते हुए भारत अपनी गणित के हिसाब से तेल खरीद के फैसले ले रहा है. इसी बीच सऊदी से तेल खरीद बढ़ाने के बाद भी भारत की ओपेक देशों से कुल खरीद घटी है क्योंकि भारत ने अफ्रीकी देशों से खरीद घटाई है.

कितनी रही कच्चे तेल की खरीद

आंकड़ों के मुताबिक अगस्त के महीने में भारत ने सऊदी से 863950 बैरल तेल प्रति दिन के हिसाब से खरीदा है. जो कि जुलाई के मुकाबले 4.8 प्रतिशत अधिक है. वहीं दूसरी तरफ इसी महीने में रूस से तेल की खरीद 855950 बैरल तेल प्रति दिन के हिसाब से रही है जो कि जुलाई के मुकाबले 2.4 प्रतिशत कम रही है. सऊदी से तेल खरीद बढ़ाने के बाद भी ओपेक देशों से भारत की कुल तेल खरीद घटकर कुल खरीद का 59.8 प्रतिशत पर आ गई है जो कि 16 साल का निचला स्तर है. दरअसल मॉनसून के दौरान डीजल की मांग में गिरावट होने से भारत ने कच्चे तेल की कम खरीद की है और इसका असर ओपेक में शामिल अफ्रीकी देशों पर पड़ा है. अफ्रीकी देशों से खरीद अगस्त के दौरान पिछले महीने के मुकाबले आधी रह गई है. मांग में कमी से अगस्त के दौरान कच्चे तेल का आयात 5 महीने के निचले स्तरों पर पहुंच गया है.

रूस से आयात में लगातार कमी

अप्रैल से अगस्त के बीच में भारत का रूस से तेल आयात कई गुना बढ़कर कुल आयात का 16 प्रतिशत पर पहुंच गया है. इससे भारत चीन के बाद रूस का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक बन गया है. हालांकि जून में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के साथ अब आयात में कमी देखने को मिल रही है. दरअसल भारत कॉन्ट्रैक्ट के तहत सऊदी अरब से तेल खरीद में एक सीमा से ज्यादा कटौती नहीं कर सकता. वहीं रूस ने भी संकेत दिए हैं को वो तेल पर छूट कम कर सकते हैं. इसी वजह से भारत ने कीमतों के आधार पर रणनीति बदली है.

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Pooja Pandey

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