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मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए खुशखबरी! बढ़ेंगी NEET PG सीटें,सरकार ने बनाया ये प्लान

देश में 50,000 पीजी सीटों के मुकाबले एक लाख एमबीबीएस सीटें मौजूद हैं. सरकार अब इस अनुपात को सुधारना चाहती है.

सरकार नीट पीजी की सीटों को प्राथमिकता के आधार पर बढ़ाने की कोशिश में जुटी हुई है. नेशनल मेडिकल कमीशन अधिक पीजी स्टूडेंट्स को एडमिशन देने के लिए विभिन्न मेडिकल कॉलेजों की क्षमता और बुनियादी ढांचे का आकलन करने के लिए क्लिनिकल फैसिलिटी का निरीक्षण किया जा रहा है. इस पहल के तहत कुछ जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में बदल दिया जाएगा, ताकि पीजी की अधिक सीटें तैयार की जा सकें. मेडिकल एंड हेल्थ के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ संजय तेवतिया ने कहा कि स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता देखने को मिल रही है.

डॉ संजय तेवतिया ने कहा, ‘पहले मरीजों को स्पेशलिस्ट के बारे में मालूम नहीं था. इसलिए वे अपनी ज्यादातर बीमारियों का इलाज एमबीबीएस डॉक्टर से ही करवाते थे. लेकिन अब हालात हालत बदल रहे हैं और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स के खुलने की वजह से स्पेशलाइज्ड डॉक्टरों की मांग बढ़ रही है.’ नाम नहीं छापने की शर्त पर स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, आज 50,000 पीजी सीटों के मुकाबले एक लाख एमबीबीएस सीटें मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य इस अनुपात को सुधारना है, ताकि उम्मीदवारों को स्पेशलाइजेशन कोर्स करने का मौका मिले.

जहां मेडिकल कॉलेज नहीं, वहां कॉलेज में बदलेंगे जिला अस्पताल

अधिकारी ने कहा, एनएमसी मेडिकल कॉलेजों में क्लिनिकल मैटेरियल और फैकल्टी की मौजूदगी की जांच कर रहा है, ताकि अधिक पीजी स्टूडेंट्स को अपने यहां एडमिशन देने के लिए उनकी तैयारी का आकलन किया जा सके. अधिकारी ने कहा, ‘कॉलेजों ने अपनी पीजी सीटों की संख्या बढ़ाने की रिक्वेस्ट भेजी है, जिसके आधार पर एनएमसी अभी निरीक्षण के दौर में है. यदि एनएमसी को सब कुछ सही लगता है, तो वह कॉलेज को लेटर ऑफ परमिशन (एलओपी) प्रदान करेगा, जिससे उसे पीजी सीटों की संख्या में इजाफा करने की अनुमति मिल जाएगी.’

अधिकारी ने आगे कहा, ‘नीट पीजी सीटों की संख्या बढ़ाने का दूसरा तरीका जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में बदलना है. शुरुआत में यह कुछ ऐसे जिलों में किया जाएगा, जहां फिलहाल कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है. हम अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के बीच पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप बनाने पर भी विचार कर रहे हैं.’ हालांकि, पीजी सीटों की संख्या बढ़ाने के बाद फैकल्टी की कमी एक ऐसी समस्या है, जिससे जूझना पड़ सकता है.

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Pooja Pandey

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