भारत अपनी खाद्य तेल की आवश्यकता का 60 प्रतिशत से अधिक आयात करता है, ऐसे में वैश्विक बाजार के अनुरूप पिछले कुछ महीनों में खुदरा कीमतें दबाव में आ गईं.

वित्त मंत्रालय ने खाद्य तेल आयात पर रियायती सीमा शुल्क को मार्च, 2023 तक और छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. इस कदम का उद्देश्य खाद्य तेलों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना और कीमतों को नियंत्रण में रखना है.
एक अधिसूचना में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा कि निर्दिष्ट खाद्य तेलों पर मौजूदा रियायती आयात शुल्क की समयसीमा को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाया जाएगा.
इनको भी मिलती रहेगी छूट
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यही नहीं सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पॉम ऑयल पर अक्टूबर 2021 से कस्टम ड्यूटी पर लागू छूट को भी मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया है. इसी तरह कच्चे पाम ऑयल और मसूर के आयात पर भी 5 फीसदी सीमा शुल्क छूट मार्च 2023 तक जारी रहेगी. क्रूड की श्रेणी में आने वाले खाद्य तेलों पर अब कस्टम ड्यूटी शून्य हैं तो रिफाइंड कैटेगरी में आने वाले खाद्य तेलो पर 17.5 फीसदी कस्टम ड्यूटी लागू है.
कीमतें रहेंगी काबू में
ईवाई के टैक्स पाटर्नर सौरभ अग्रवाल का कहना है कि सरकार ने महंगाई को काबू में करने के लिए पॉम ऑयल और सोयाबीन ऑयल पर लगने वाले सीमा शुल्क और कृषि इन्फ्रा और डेवलपेमेंट सेस में कटौती थी. इसके बाद इस छूट को को सरकार लगातार आगे बढ़ाती रही है. अब कस्टम ड्यूटी और सेस में छूट 31 मार्च 2023 तक देने का ऐलान सरकार ने किया है. इससे खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी आने की संभावना है. जुलाई के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई के आंकड़ों से पता चला है कि तेल और वसा श्रेणी में जुलाई में महंगाई दर 7.5% थी. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में खाद्य महंगाई 6.75% रही, जबकि एक साल पहले समान महीने में यह 3.96% थी.