बंबई उच्च न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की रोक के बावजूद खेल के मैदान के लिए आरक्षित जमीन के पास इमारत का निर्माण जारी रखने से उसे ट्वीन टावर जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

बंबई हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक बिल्डर को ट्वीन टावर जैसी कार्रवाई के लिए चेताया. बंबई उच्च न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की रोक के बावजूद खेल के मैदान के लिए आरक्षित जमीन के पास इमारत का निर्माण जारी रखने से उसे ट्वीन टावर जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. मालूम हो कि नोएडा में सुपरटेक के अवैध दो टावरों को बीते रविवार को ध्वस्त कर दिया गया था. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम. एस कार्णिक की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. याचिका में दावा किया गया है कि एक रियल एस्टेट डेवलपर मुंबई के उपनगर खार में खेल के मैदान के लिए आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण कर रहा है.
अदालत ने बीते हफ्ते एक आर्किटेक्ट को वहां का दौरा करने के लिए प्रतिनियुक्त किया था, जहां डेवलपर ने उच्चतम न्यायालय के 1995 के के आदेश का उल्लंघन करते हुए निर्माण कार्य शुरू किया था. पीठ को सूचित किया गया कि आर्किटेक्ट ने रिपोर्ट पेश कर दी है. इसके बाद अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 20 सितंबर तक स्थगित कर दिया.
डेवलपर की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत से भूमि का सीमांकन पूरा होने तक निर्माण पर लगी रोक को हटाए जाने का आग्रह किया. मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने यह अनुरोध अस्वीकार करते हुए कहा, ‘प्रतीक्षा करते हैं. आपका भविष्य भी सुपरटेक जैसा ही हो सकता है.’ अदालत ने पिछले हफ्ते भी मुंबई के डेवलपर को फटकार लगाई थी.