गुडफेलोज का काम बहुत दिलचस्प है. यह स्टार्टअप बुजुर्गों को एकांत से छुटकारा दिलाने के लिए कंपनी दिलाता है. बुजुर्गों के एकांत को खत्म करने के लिए नई पीढ़ी के लोगों से मेल कराता है. बातचीत और वॉकिंग से अकेलापन खत्म कराता है.

आज अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस है. ऐसे में उस स्टार्टअप की बात करना जरूरी है जिसमें देश-दुनिया के नामचीन उद्योगपति रतन टाटा ने निवेश किया है. चूंकि रतन टाटा खुद भी 80 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं और सीनियर सिटीजन की श्रेणी में शामिल हैं, इसलिए आज के दिन उनका जिक्र कई मायनों में अहम है. रतन टाटा ने जिस स्टार्टअप में निवेश किया है, उसका नाम है गुडफेलोज. स्टार्टअप का जैसा नाम है, उसका काम भी वैसा ही है. गुडफेलोज उन बुजुर्गों की मदद करता है जो एकांत में पड़ गए हैं. यूं कहें कि अलग-थलग पड़े बुजुर्गों को सहारा देने के लिए रतन टाटा आगे आए हैं.
हमारे घर-परिवार के बुजुर्गों की सबसे बड़ी शिकायत यही होती है कि वे अलग पड़ जाते हैं. उनसे बात करने वाला कोई नहीं होता. सुविधाएं सारी मिल जाएं, लेकिन एकांत का डर उन्हें सबसे अधिक सताता है. अब तो वृद्ध आश्रम का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है जहां बुजुर्ग लोगों को रख दिया जाता है. संतानें आश्रम की फीस चुकाती हैं और बुजुर्ग माता-पिता वहां अपना जीवन गुजारते हैं. गुडफेलोज स्टार्टअप इस समस्या से निजात दिलाता है क्योंकि इसका काम ही है सीनियर सिटीजन को युवाओं से जोड़ना. इसका मकसद यही है कि उम्र भले बुढ़ापे का शिकार हो जाए, लेकिन मन, सोच और खयाल हमेशा जवान बने रहना चाहिए.
रतन टाटा से जुड़ा यह स्टार्टअप
84 साल के हो चुके रतन टाटा को परोपकारी, नेक, सामाजिक या फिलेंथ्रोपी के कार्यों के लिए जाना जाता है. इस नई कड़ी में रतन टाटा ने गुडफेलोज में निवेश किया है. गुडफेलोज स्टार्टअप को शांतनू नायडू ने शुरू किया है जो कि रतन टाटा के पर्सनल असिस्टेंट हैं. नायडू का पूरा रोल रतन टाटा के जनरल मैनेजर का है. वे ही रतन टाटा के ऑफिस का काम देखते हैं, स्टार्टअप इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को देखते हैं. शांतनू नायडू टाटा ट्रस्ट का काम देखने में रतन टाटा की मदद करते हैं.
गुडफेलोज का काम
गुडफेलोज का काम बहुत दिलचस्प है. यह स्टार्टअप बुजुर्गों को एकांत से छुटकारा दिलाने के लिए कंपनी दिलाता है. बुजुर्गों के एकांत को खत्म करने के लिए नई पीढ़ी के लोगों से मेल कराता है. यह स्टार्टअप सब्सक्रिप्शन आधारित सर्विस देता है जिसमें युवा कॉलेज छात्रों को गुड फेलोज कहा जाता है. ये गुड फेलोज बुजुर्गों के साथ वॉक पर जाते हैं, उनसे बात करते हैं या मूवी देखने जाते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बुजुर्गों का एकांत खत्म किया जाए, उन्हें बातचीत में व्यस्त किया जाए ताकि अकेलेपन का अहसास न हो. अभी यह सर्विस केवल मुंबई में दी जा रही है, लेकिन गुडफेलोज स्टार्टअप का काम अन्य शहरों में शुरू होने की संभावना है.
सीनियर सिटीजन या बुजुर्गों के लिए देश में कई गैर-लाभकारी संगठन चलाए जाते हैं. इस काम में कई संगठन पहले से लगे हुए हैं और नए-नए संगठन भी बन रहे हैं. बुजुर्गों की सेवा और एकांतवास खत्म करने के लिए कई प्रोग्राम भी चलाए जाते हैं, लेकिन सफलता की दर बहुत कम है. इस स्थिति में रतन टाटा के निवेश किए गुडफेलोज से एक नई आस जगी है.