वर्तमान में डॉक्टर एंथनी फौची अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार हैं। इसके अलावा वे अमेरिका के राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान के निदेशक का पद भी संभाल रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान फौची की सलाहों को पूरी दुनिया में अहमियत मिली थी।

अमेरिका के महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फौची दिसंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार के रूप में पद छोड़ देंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने एलान किया कि वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के निदेशक और राष्ट्रपति बाइडेन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार के रूप में अपने पदों से हट जाएंगे। गौरतलब है कि डॉक्टर एंथनी फौची पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन के बेहद खास लोगों में शुमार हैं।
उन्होंने एक बयान में उन्होंने कहा कि ‘मैं अपने कॅरियर के अगले अध्याय को शुरू करने के लिए इस साल दिसंबर में इन पदों को छोड़ दूंगा।’ उन्होंने अपनी इन भूमिकाओं को जीवनभर के लिए दिया जाने वाला सम्मान बताया।
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बयान जारी करके डॉक्टर फाउची की प्रशंसा की है। बाइडन ने कहा कि आप उनसे व्यक्तिगत रूप से मिले हों या नहीं, लेकिन उन्होंने अपने काम से सभी अमेरिकियों के जीवन को स्पर्श किया है। मैं उनकी जन सेवाओं के लिए तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं। अमेरिका उनकी वजह से मजबूत, अधिक जुझारू और स्वस्थ है।
अमेरिका के सबसे बड़े महामारी विशेषज्ञ हैं डॉक्टर फौची
डॉक्टर एंथनी फौची अमेरिकी फिजीशियन और देश के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ हैं। उनका जन्म 24 दिसंबर, 1940 को हुआ था। डॉक्टर फौची ने 1984 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के निदेशक का कार्यभार संभाला था। इसके अलावा कोरोना काल में वो कोरोनोवायरस महामारी के लिए बनाई गई व्हाइट हाउस कोरोनावायरस टास्क फोर्स के सदस्य भी रहे थे। इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में भी उन्होंने करीबन 50 सालों तक काम किया। फाउची कोरोना वायरस महामारी के आने से पहले ही एचआईवी/एड्स और अन्य संक्रामक रोगों के मामले में कार्रवाई के लिए संघीय सरकार के प्रमुख अधिकारी रहे।
वर्तमान में डॉक्टर एंथनी फौची अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार हैं। इसके अलावा वे अमेरिका के राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान के निदेशक का पद भी संभाल रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान फौची की सलाहों को पूरी दुनिया में अहमियत मिली थी। कोरोना वायरस से लड़ाई में उन्होंने वैक्सीन के इस्तेमाल को खूब बढ़ावा दिया था।