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बिलकिस बानो केस: दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 6000 लोग, कहा- जिस पर बीतती है,वही जानता है,रद्द हो ये फैसला

गुजरात में 2002 के दंगों के बिलकिस बानो मामला एक बार फिर गरमाया है। उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी 11 दोषियों को 2008 में दोषी ठहराए गए थे। उन्हें माफी नीति के तहत रिहा किया गया है। इस रिहाई को लेकर मामला सियासी हो रहा है। सजा सुनाने वाले जस्टिस भी स्तब्ध हैं।

इतिहासकारों, महिला एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित 6000 से ज्यादा लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि बिलकिस बानो मामले में बलात्कार और हत्या के लिए दोषी 11 व्यक्तियों की सजा माफ करने के फैसले को रद्द किया जाए. एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि गैंगरेप और हत्या के दोषी 11 लोगों की सजा माफ करने से उन बलात्कार पीड़िताओं का न्याय व्यवस्था पर से भरोसा उठ जाएगा, जिन्हें न्याय की मांग करने और इस व्यवस्था पर विश्वास करने को कहा गया है.

बयान जारी करने वालों में सैयदा हमीद, जफरुल इस्लाम खान, रूप रेखा, देवकी जैन, उमा चक्रवर्ती, सुभाषिनी अली, कविता कृष्णन, मैमूना मुल्ला, हसीना खान, रचना मुद्राबाईना, शबनम हाशमी और अन्य शामिल हैं. नागरिक अधिकार संगठनों में सहेली वूमन्स रिसोर्स सेंटर, गमन महिला समूह, बेबाक कलेक्टिव, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमन्स एसोसिएशन, उत्तराखंड महिला मंच और अन्य संगठन शामिल हैं. बयान में मांग की गई है कि सजा माफी का फैसला तत्काल वापस लिया जाना चाहिए.

ओवैसी ने ट्वीट कर बीजेपी पर आरोप लगाया कि दुष्कर्मियों के साथ खड़ा रहना बीजेपी की नीति है. उन्होंने कहा कि, ‘कुछ लोगों की जाति उन्हें घिनौने जुर्म के बावजूद रिहा करवा देती है. दूसरी ओर, जाति/मज़हब की बुनियाद पर आपको कई साल बिना सबूत क़ैद में रखा जा सकता है. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने विधायक के वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, ‘कया यही PM मोदी का ‘नारी शक्ति’ एजेंडा है? सामूहिक बलात्कार और बच्चे की हत्या ‘अच्छे संस्कार’ हैं? भाजपा जाति की बुनियाद पर ‘जेल से मुफ़्त रिहाई पास’ दे रही है. हमें अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि कम-अज़-कम गोडसे को मुजरिम क़रार देकर फांसी दी गई.

रिहाई के फैसले को रद्द करने की मांग

बयान के मुताबिक, हत्या और बलात्कार के इन दोषियों को सजा पूरी करने से पहले रिहा करने से महिलाओं के प्रति अत्याचार करने वाले सभी पुरूषों के मन में (दंडित किए जाने का) डर खत्म हो जाएगा. बयान में कहा गया, ‘हम मांग करते हैं कि न्याय व्यवस्था में महिलाओं के विश्वास को बहाल किया जाए. हम इन 11 दोषियों की सजा माफ करने के फैसले को तत्काल वापस लेने और उन्हें सुनाई गई उम्र कैद की सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने की मांग करते हैं.’

परिवार के 7 सदस्यों की हुई थी हत्या

सजा माफी नीति के तहत गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों की रिहाई की अनुमति दिए जाने के बाद वे 15 अगस्त को गोधरा उप कारागार से बाहर आ गए. इन दोषियों ने जेल में 15 साल से ज्यादा समय बिताया है. मुंबई की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को इन 11 लोगों को बलात्कार और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी. उनकी दोषसिद्धि को बंबई हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था. बिलकिस बानो के साथ जब सामूहिक बलात्कार किया गया था, उस वक्त वह 21 वर्ष की थीं और पांच महीने की गर्भवती थी. मारे गए लोगों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी.

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Pooja Pandey

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