गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर कांग्रेस की प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. आज ही उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया था.

कांग्रेस के जम्मू-कश्मीर अभियान समिति के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने पार्टी द्वारा नामित किए जाने के बाद अपना पद छोड़ दिया और पार्टी नेतृत्व को इस फैसले से अवगत कराया। यह खबर उनके करीबी सूत्रों के जरिए सामने आई है। इस पर अभी दोनों पक्षों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा पार्टी के लोगों के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि पार्टी में प्रमुख नियुक्तियों पर उनसे सलाह ली जाती थी। वह पार्टी मंचों में काफी सक्रिय भी थे।
पार्टी आलाकमान से नाराज है गुलाम नबी आजाद
वही, आजाद ने सोमवार को कांग्रेस की गौरव यात्रा में भी हिस्सा लिया था और सोनिया गांधी को ईडी मुख्यालय में बुलाए जाने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। उच्च सदन में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजने में नजरअंदाज किए जाने से आजाद नाराज हैं। वह पार्टी जी-23 समूह के प्रमुख नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने पार्टी में व्यापक सुधारों की मांग की।
बता दें, यह मुद्दा तब सामने आया है, जब पार्टी को नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करनी है। पार्टी ने जम्मू-कश्मीर स्टेट यूनिट के पदाधिकारियों को नियुक्त किया है, जिसमें विकार रसूल वानी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।गुलाम अहमद मीर के जेकेपीसीसी अध्यक्ष के पद से हटने के बाद यह पद खाली हो गया था। वानी पूर्व मुख्यमंत्री आजाद के वफादार हैं।
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 47 वर्षीय वानी को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने के साथ ही वरिष्ठ नेता 73 वर्षीय आजाद को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपी थी. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, सोनिया गांधी ने जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी के लिये चुनाव अभियान समिति और राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) समेत सात समितियों का भी गठन किया था.
वेणुगोपाल ने कहा था कि सोनिया ने गुलाम अहमद मीर का प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उनके स्थान पर रसूल वानी को अध्यक्ष नियुक्त किया है. आजाद के करीबी माने जाने वाले वानी प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और बानिहाल से विधायक रह चुके हैं.आजाद कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य रहे हैं. इन नयी नियुक्तियों के बाद यह माना जा रहा था कि कांग्रेस अलाकमान और आजाद के बीच रिश्ते बेहतर हुए हैं. आजाद ने 15 अगस्त को राहुल गांधी के साथ ”आजादी गौरव यात्रा ‘ में भी भाग लिया था लेकिन इस बीच उनके इस्तीफे की खबर ने सबको चौका दिया है.