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चीनी पोत के मुद्दे को लेकर श्रीलंका पर दबाव के आरोपों को भारत ने किया खारिज, कहा-बीच में ना आए तीसरा देश

श्रीलंका में चीन के राजदूत क्वी जेनहोंग जहाज का स्वागत करने के लिए बंदरगाह पर मौजूद थे. चीन ने कहा है कि उसकी वैज्ञानिक शोध संबंधी गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय कानून के अंतर्गत होती हैं.

भारत और अमेरिका की चिंताओं और विरोध के बीच चीन का रिसर्च पोत युआन वांग 5 मंगलवार को श्रीलंका पहुंच गया है. ये पोत श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर स्थानीय समयानुसार सुबह 8.20 बजे पहुंचा था. अब यह 22 अगस्त तक वहीं पर रुकेगा. इस पोत पर कई तरह के आधुनिक एंटीने और कम्युनिकेशन संबंधी उपकरण लगे हैं. ऐसे में भारत की ओर से भी इस संबंध में विरोध जताया गया था. अब इस पर चीन का बयान आया है. चीन ने भारत और अमेरिका का नाम लिए बिना कहा है कि इस मामले में कोई भी तीसरा पक्ष या देश शामिल ना हो.

चीन की ओर से कहा गया है कि उसकी वैज्ञानिक शोध संबंधी गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय कानून के अंतर्गत होती हैं. इस मामले में किसी भी तीसरे देश को हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए. श्रीलंका में चीन के राजदूत क्वी जेनहोंग जहाज का स्वागत करने के लिए बंदरगाह पर मौजूद थे. इस दौरान सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना पार्टी के अलग हुए समूह के कई सांसद भी मौजूद थे. उन्होंने यात्रा के बारे में पूछे जाने पर कहा, इस तरह के शोध जहाज का श्रीलंका की यात्रा करना बहुत स्वाभाविक है. 2014 में भी इसी तरह का एक जहाज यहां आया था. भारतीय चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर, राजदूत ने कहा, मुझे नहीं पता, आपको भारतीय मित्रों से पूछना चाहिए.

भारत ने किया था पोत के श्रीलंका बंदरगाह पर रुकने का विरोध

चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से कहा है कि मंगलवार को चीन का रिसर्च पोत युआन वांग 5 श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंच गया है. उसके पहुंचने के दौरान राष्ट्रपति के प्रतिनिधि समेत कई बड़े श्रीलंकाई अफसर शामिल रहे. वहीं भारत ने इस रिसर्च पोत का श्रीलंका के बंदरगाह पर रुकने का विरोध किया था. भारत का कहना था कि इसमें कई आधुनिक उपकरण लगे हैं जो अंतरिक्ष में भी वस्तुओं की पहचान कर सकते हैं. हंबनटोटा बंदरगाह एशिया-यूरोप शिपिंग रूट के बीच ही स्थित है. ऐसे में आंशका है कि कहीं चीन इस बंदरगाह को सैन्य बेस के रूप में इस्तेमाल ना करे.

चीन ने इस यात्रा को बताया स्वाभाविक

श्रीलंका में चीन के राजदूत ने मंगलवार को दक्षिण बंदरगाह हंबनटोटा पर एक उच्च प्रौद्योगिकी वाले चीनी अनुसंधान जहाज के आगमन के विवाद को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए इस तरह की यात्राओं को बहुत स्वाभाविक बताया. बैलेस्टिक मिसाइल एवं उपग्रह का पता लगाने में सक्षम जहाज युआन वांग 5 को निर्धारित कार्यक्रम के तहत 11 अगस्त को बंदरगाह पर पहुंचना था, लेकिन श्रीलंकाई प्राधिकारियों द्वारा अनुमति टालने से इसमें देरी हुई. भारत की चिंताओं के बीच श्रीलंका ने चीन से इसकी यात्रा टालने को कहा था. शनिवार को, कोलंबो ने 16 से 22 अगस्त तक जहाज को बंदरगाह आने की अनुमति प्रदान की.

श्रीलंका ने कहा कि निर्धारित अवधि के दौरान पुनःपूर्ति उद्देश्य के लिए पोत की यात्रा के लिए रक्षा मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी दी गई. जहाज की सुरक्षा बहुत सख्त थी और किसी को भी उस पर जाने की अनुमति नहीं दी गई. यात्रा को स्थगित करने के श्रीलंका के फैसले पर देश में बहुत विवाद उत्पन्न हुआ क्योंकि जुलाई के मध्य में यात्रा को मंजूरी दे दी गई थी.

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Pooja Pandey

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