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ISRO के नए लाॅन्च व्हिकल SSLV-D1 का प्रक्षेपण रहा सफल, लेकिन इसके साथ गए 2 उपग्रह सेटेलाइट से संपर्क टूटा!!

रॉकेट ने सही तरीके से काम करते हुए दोनों सैटेलाइट्स को उनकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया. रॉकेट अलग हो गया. लेकिन उसके बाद सैटेलाइट्स से डेटा मिलना बंद हो गया. ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि इसरो मिशन कंट्रोल सेंटर लगातार डेटा लिंक हासिल करने का प्रयास कर रहा है. हम जैसे ही लिंक स्थापित कर लेंगे, देश को सूचित करेंगे.

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने अपने पहले स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल मिशन को लॉन्च कर दिया है. SSLV की आज की लॉन्चिंग में एक ‘अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट’ और एक ‘स्टूडेंट सेटेलाइट’ ने उड़ान भरी है. इस ऐतिहासिक मिशन को यहां से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस लॉन्च सेंटर से अंजाम दिया गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जानकारी दी कि SSLV रॉकेट की लॉन्चिंग सक्सेसफुल रही. रॉकेट ने ठीक तरह से मिशन को अंजाम देते हुए दोनों सैटेलाइट्स को उनकी तय कक्षा में पहुंचा दिया. जिसके बाद रॉकेट अलग हो गया. इसरो ने आगे बताया, ‘लेकिन दोनों सैटेलाइट्स से किसी भी तरह का डेटा मिलना अब बंद हो गया है.’

एसएसएलवी के जरिए इसरो ने जिन दो सैटेलाइट्स को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया उनमें EOS02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं. जो 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करेगा. इसका वजन 142 किलोग्राम है. इसमें मिड और लॉन्ग वेवलेंथ इंफ्रारेड कैमरा लगा है. जिसका रेजोल्यूशन 6 मीटर है. यानी ये रात में भी निगरानी कर सकता है. AzaadiSAT सैटेलाइट्स स्पेसकिड्ज इंडिया नाम की देसी निजी स्पेस एजेंसी का स्टूडेंट सैटेलाइट है. इसे देश की 750 लड़कियों ने मिलकर बनाया है.

श्रीहरिकोटा से आज किया जाएगा लॉन्च

रविवार के मिशन में एसएसएलवी के जरिए अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट (ईओएस)-02 और एक सह-यात्री उपग्रह ‘आजादीसैट’ को भेजा गया है, जिसे ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ की छात्र टीम द्वारा विकसित किया गया था. इसरो के सूत्रों के मुताबिक, अन्य अभियानों की तुलना में उलटी गिनती को 25 घंटे से घटाकर पांच घंटे कर दिया गया था और रविवार को इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से सुबह 9.18 पर लॉन्च किया गया.

लगभग 13 मिनट की यात्रा के बाद एसएसएलवी सबसे पहले ईओएस-02 को इच्छित कक्षा में स्थापित करेगा. इस सेटेलाइट को इसरो द्वारा डिजाइन किया गया है. एसएसएलवी इसके बाद ‘आज़ादीसैट’ को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा. यह सेटेलाइट आठ किलोग्राम का क्यूबसैट है, जिसे देश भर के सरकारी स्कूलों की छात्राओं द्वारा स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में डिजाइन किया गया है. ‘आज़ादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है. देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था, जो ‘स्पेस किड्स इंडिया’ की छात्र टीम द्वारा इंटीग्रेटेड है. ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ द्वारा विकसित ग्राउंड सिस्टम का इस्तेमाल इस सेटेलाइट से डेटा हासिल करने के लिए किया जाएगा

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Pooja Pandey

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