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फ्रेंडशिप डे के सही मायने जानते हैं, तो दोस्ती के ये 4 रूल्स कभी न तोड़ें

यदि आप फ्रेंडशिप डे को अपने दोस्तों के लिए खास बनाना चाहते हैं तो ऐसे में आप अपने दोस्तों को खास संदेश भेज सकते हैं. जानते हैं इन संदेशों के बारे में…

इंसान को कुछ रिश्ते जन्म के साथ ही मिल जाते हैं और कुछ रिश्ते वो खुद आकर बनाता है. दोस्ती भी ऐसे ही रिश्तों में से एक है, जो हम खुद बनाते हैं. दोस्त आपके हर सुख और दुख के साथी होते हैं. दोस्त अगर सच्चा हो, तो उसके साथ आप जीवन की वो बातें भी शेयर कर सकते हैं, जो हर किसी से कह पाना आसान नहीं होता. मुसीबत के समय में जब आपका साथ तमाम लोग छोड़ देते हैं, सच्चा दोस्त उस वक्त में भी आपके साथ खड़ा होता है. सही मायने में वो आपका शुभचिंतक और हितैषी होता है. अगर आपके पास भी ऐसा कोई दोस्त है, तो आपको सचमुच खुद को भाग्यशाली मानना चाहिए. ऐसे दोस्तों को शुक्रिया अदा करने का दिन है फ्रेंडशिप डे, जो हर साल अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है. इस बार फ्रेंडशिप डे 7 अगस्त को है. अगर आप फ्रेंडशिप के सही मायने समझते हैं, तो इस रिश्ते को पूरे दिल से निभाएं और दोस्ती के कुछ रूल्स को हमेशा फॉलो करें, ताकि आपके दोस्त के साथ आपके रिश्ते और मजबूत हो जाएं.

पहला रूल

दोस्ती का पहला रूल है विश्वास. किसी भी रिश्ते की नींव विश्वास पर टिकी होती है. इसलिए कभी ऐसा कोई काम न करें, जिससे आपके दोस्त का भरोसा आप पर से उठ जाए. अपने मित्र के साथ रिश्ता पूरी ईमानदारी से निभाएं और इस तरह का भरोसा बनाकर रखें, कि जब कोई आप पर विश्वास न करे, तब भी आपका दोस्त आपकी हर बात का यकीन करे.

दूसरा रूल

दोस्ती के बीच में कभी भी पैसा नहीं आना चाहिए. पैसा आपके जीवन की जरूरत जरूर है, लेकिन आपका रिश्ता पैसों से कहीं बढ़कर है. अगर आपका सच्चा दोस्त पैसों से कमजोर है, इसका मतलब ये नहीं कि आप उसका आकलन हैसियत से करें. दोस्ती इंसान की इंसानियत को देखकर की जाती है और ये पैसों से कहीं बड़ी होती है. सच्चे दोस्त पर आपकी हैसियत का कोई फर्क नहीं होता. जो लोग आपका धन और रुतबा देखकर दोस्ती करते हैं, वो कभी आपके मित्र नहीं हो सकते.

तीसरा रूल

जीवन में आपके कई सारे दोस्त बनते हैं, लेकिन हर किसी के साथ वो बॉन्डिंग नहीं होती, कि आप उनसे हर बात कह सकें. ऐसे दोस्त गिने चुने ही होते हैं. अगर आपके पास ऐसा दोस्त है, तो उसकी हमेशा कद्र करें. जब कभी भी आप मुंश्किल में हों, तो उससे मन की बात को शेयर करें. छिपाने का प्रयास न करें. आपके इस प्रयास को वो हर हाल में समझ लेगा और उसे आपके छिपाव वाले बर्ताव का बुरा लगेगा. आपका मित्र आपके मुश्किल समय में कभी भी गलत सलाह नहीं देगा, इसलिए अपने मन की दुविधा को उससे शेयर जरूर करें.

चौथा रूल

आपका सच्चा मित्र वही है, जो मुश्किल समय में भी आपके साथ खड़ा रहा है. अगर उस पर किसी तरह की मुसीबत आती है, तो आपको भी उसका पूरा साथ देना चाहिए. मुश्किल का समय ही दोस्ती को परखने वाला होता है, अगर आप ऐसे समय में दोस्त का साथ नहीं देंगे, तो स्वार्थी कहलाएंगे और अपने सच्चे दोस्त को भी हमेशा के लिए खो देंगे.

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Pooja Pandey

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