आज की ताजा खबर देश

रिटायर किया जाएगा मिग-21, जानें 50 साल से भी ज्यादा पुराने विमानों का क्यों किया जा रहा था इस्तेमाल

रिपोर्ट के मुताबिक वायुसेना की ओर से इस साल 30 सितंबर को मिग-21 बाइसन के एक स्क्वाड्रन को रिटायर कर दिया जाएगा। वहीं, इस विमान के सभी स्क्वाड्रन साल 2025 तक रिटायर कर दिए जाएंगे। 

भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग कॉफिन (उड़ता ताबूत) के नाम से मशहूर मिग-21 विमान के क्रैश होने की एक और घटना सामने आई है। गुरुवार की रात राजस्थान के बाड़मेर में मिग-21 हादसे का शिकार हो गया और एक बार फिर से देश ने दो प्रतिभाशाली पायलटों को खो दिया है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग एक बार फिर से मिग-21 विमान की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि क्या कारण है कि वायुसेना इतने अधिक नंबर में क्रैश की घटनाओं के बाद भी इन विमानों का प्रयोग कर रही है। 

बताते चलें राजस्थान के उत्तरलाई एयरबेस से ट्रेनिंग उड़ान के दौरान दो सीटों वाला एक मिग-21 ट्रेनर विमान गुरुवार शाम दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें दोनों पायलटों की मौत हो गई. इस हादसे के बाद मिग-21 विमान की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे. लोगों का पूछना है कि इतने हादसों के बावजूद भारतीय वायुसेना इनका इस्तेमाल क्यों कर रही थी.

पहले जानें कि आखिर मिग-21 है क्या

रूस द्वारा निर्मित इस विमान को भारतीय वायुसेना के बेड़े में 1963 में शामिल किया गया था. भारत ने कुल 874 मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में जोड़ा था. मौजूदा समय में IAD इसका अपग्रेडेड वर्जन मिग-21 बाइसन का इस्तेमाल करती है. मिग-21, जिसकी लैंडिंग और टेक-ऑफ की गति दुनिया में 340 किमी प्रति घंटा है, 1960 के दशक के डिजाइन विंटेज के हैं और बड़े पैमाने पर अंतर्निहित सुरक्षा तंत्र के साथ आधुनिक प्रणनालियों रहित है.

स्क्वाड्रन की कमी है मुख्य वजह

भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े में सबसे पुराना मिग-21 ही है। इसे अब भी इस्तेमाल करने का मुख्य कारण वायुसेना के स्क्वाड्रन की संख्या में कमी है। आसान शब्दों में बताए तो वायुसेना में स्क्वाड्रन विमानों के एक समूह को बोला जाता है। एक स्क्वाड्रन में करीब 16 से 18 विमान होते हैं। मिग-21 के चार स्क्वाड्रन (64 विमान अनुमानित) वायुसेना के पास में उपलब्ध है।

चीन-पाकिस्तान का दोहरा खतरा

भारत की एक सीमा पर चीन है तो वहीं, दूसरी सीमा पर पाकिस्तान। इन दोनों से ही भारत को खतरा है। विभिन्न मौकों पर युद्ध और अन्य सीमा विवादों ने इस बात को साबित किया है। इसलिए इस दोहरे खतरे से निबटने के लिए देश की वायुसेना का मजबूत रहना जरूरी है। वायुसेना को इस खतरे से निपटने के लिए कम से कम 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है। हालांकि, वर्तमान में हमारे पास 32-33 स्क्वाड्रन ही मौजूद है। अगर इनमें से मिग-21 के चार स्क्वाड्रन को तत्काल रूप से रिटायर कर दिया जाए तो यह संख्या 30 से नीचे आ जाएगी। जो सामरिक रूप से हमारे लिए कहीं से भी हितकारी नहीं होगा।

सितंबर में रिटायर होगा एक स्क्वाड्रन 

एक रिपोर्ट के मुताबिक वायुसेना की ओर से इस साल 30 सितंबर को मिग-21 बाइसन के एक स्क्वाड्रन को रिटायर कर दिया जाएगा। वहीं, इस विमान के सभी स्क्वाड्रन साल 2025 तक रिटायर कर दिए जाएंगे। 

ये विमान लेंगे मिग-21 का स्थान

मिग-21 को रिटायर कर के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस को इसकी जगह दी जाएगी। बता दें कि बीते साल वायु सेना ने 48 हजार करोड़ के सौदे के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड एचएएल को 83 तेजस विमानों का ऑर्डर दिया है। हालांकि, इनकी डिलीवरी में अब भी काफी समय बाकी है। वायुसेना के जगुवार, मिराज-2000 जैसे विमान भी अब पुराने हो चले हैं। इन्हें भी कुछ समय बाद रिटायर किया जाएगा। इस कमी को पूरा करने के लिए वायुसेना ने करीब एक लाख करोड़ रुपये के एमआरएफए सौदे के तहत 114 लड़ाकू विमानों को खरीदने की योजना बना रखी है। इसके अलावा पांचवीं-छठी पीठी के आधुनिक विमान AMCA का भी निर्माण किया जा रहा है। हालांकि, इन सभी खरीद और निर्माण के बाद भी आने वाले दशक तक स्क्वाड्रन की संख्या को 42 ले जाना मुश्किल लगता है। 

Avatar

Pooja Pandey

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Welcome to fivewsnews.com, your reliable source for breaking news, insightful analysis, and engaging stories from around the globe. we are committed to delivering accurate, unbiased, and timely information to our audience.

Latest Updates

Get Latest Updates and big deals

    Our expertise, as well as our passion for web design, sets us apart from other agencies.

    Fivewsnews @2024. All Rights Reserved.