द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को भारत के 15वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली है. वह राष्ट्रपति बनने वाली देश की पहली आदिवासी महिला और सबसे कम उम्र की व्यक्ति हैं.

द्रौपदी मुर्मू ने आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद यानी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण किया. भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण ने उन्हें संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शपथ ग्रहण करने के बाद अपने संबोधन में कहा- सभी भारतीयों की अपेक्षाओंए आकांक्षाओं और अधिकारों के प्रतीक, संसद में खड़े होकर मैं आप सभी का नम्रतापूर्वक आभार व्यक्त करती हूं. इस नई जिम्मेदारी को निभाने के लिए आपका विश्वास और समर्थन मेरे लिए एक बड़ी ताकत होगी. मैं देश की पहली राष्ट्रपति हूं जिसका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ.
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था. मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं और लंबे समय से भाजपा से जुड़ी रही हैं. आदिवासी समुदाय संथाल से संबंध रखने वाली द्रौपदी मुर्मू BA तक पढ़ी हुई हैं. उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से यह डिग्री हासिल की थी. द्रौपदी मुर्मू ने राजनीति में ग्राउंड जीरो से काम शुरू किया है. वह पहली बार 1997 में रायरंगपुर से नगर पंचायत पार्षद बनीं. इसके बाद वह 2 बार ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक भी रहीं. साथ ही भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार में मंत्री भी रहीं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम इससे पहले भी कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी हैं. साल 2000 में गठन के बाद से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल भी हैं. वह पहली ऐसी ओडिया नेता भी हैं, जिन्हें राज्यपाल बनाया गया था.
चुनाव में राष्ट्रपति मुर्मू ने निर्वाचक मंडल सहित सांसदों और विधायकों के 64 प्रतिशत से अधिक वैध वोट प्राप्त किए थे और भारी मतों के अंतर से चुनाव जीता था. मुर्मू को सिन्हा के 3,80,177 वोटों के मुकाबले 6,76,803 वोट मिले थे.