सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान की बेटे अब्दुल्ला आजम से संबंधित याचिका काे खारिज कर दी. आजम खान ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में चार्जशीट रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट से समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम की फर्जी जन्म प्रमाण पत्र वाली याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया है. समाजवादी पार्टी के नेता ने अपनी याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. अदालत ने आजम खान की इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस याचिका पर सुनवाई की कोई वजह नजर नहीं आती. इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाता है.
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि उसे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता. अदालत ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट में सबूतों के आधार पर सुनवाई आगे बढ़नी चाहिए. गौरतलब है कि आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम खान को उनके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले में जेल भेज दिया गया था. उन पर आरोप है कि अब्दुल्ला खान के पास दो अलग-अलग जगहों से फर्जी तरीके से जारी दो जन्म प्रमाण पत्र हैं. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के नेता आकाश सक्सेना ने रामपुर के गंज पुलिस स्टेशन में तीन जनवरी 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आजम खान और उनकी पत्नी ने लखनऊ और रामपुर से दो फर्जी जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने में अपने बेटे की मदद की.
कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को किया रद्द
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान को जमानत देते हुई लगाई गई शर्तों से संबंधित इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के एक हिस्से को शुक्रवार को निरस्त कर दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस नयी प्रवृत्ति को लेकर परेशान है, जहां अदालतें ऐसे मामलों का संदर्भ देती हैं जो जमानत के लिए प्रार्थना पर विचार करने से संबंधित नहीं होते. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि उत्तर प्रदेश में रामपुर के जिलाधिकारी को जौहर विश्वविद्यालय परिसर से जुड़ी जमीन को कब्जे में लिया जाए.
पीठ ने कहा, ‘हमें लगातार ऐसे आदेश मिलते रहे हैं. दो दिन पहले हमने इसी तरह के एक आदेश को रद्द किया था. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘यह अब एक प्रवृत्ति बन गई है. जमानत और अग्रिम जमानत याचिका में आप जमानत याचिका और पेश मामले तक सीमित रहते हैं. अन्य मामले कैसे प्रासंगिक हो सकते हैं? यह एक नयी प्रवृत्ति है जो हम विभिन्न आदेशों में देख रहे हैं.’ पीठ ने हाईकोर्ट द्वारा जिलाधिकारी को जमीन को कब्जे में लेने का निर्देश देने वाली जमानत की शर्त को निरस्त करते हुए खान की जमानत से संबंधित अन्य शर्तों को बरकरार रखा था. बता दें कि खान जौहर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं.
दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप
आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम खान को उनके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले में जेल भेज दिया गया था। उन पर आरोप है कि अब्दुल्ला खान के पास दो अलग-अलग जगहों से फर्जी तरीके से जारी दो जन्म प्रमाण पत्र हैं।