सुप्रीम कोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट में अग्निपथ योजना से संबंधित देशभर में लंबित मामलों को एकसाथ सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया है. अग्निपथ योजना के खिलाफ सभी याचिकाओं पर सिर्फ दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करेगा.

अग्निपथ भर्ती मामले में मंगलवार, 19 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अग्निपथ योजना के कारण इंडियन आर्मी, वायुसेना, नौसेना में पुरानी वैकेंसी रद्द होने समेत अन्य विवादों को लेकर कई याचिकाएं लगाई गई हैं. सिर्फ उच्चतम न्यायालय ही नहीं, देश के कई राज्यों में अलग-अलग हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई है. सेना भर्ती को केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना पर जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी, तब एक वक्त ऐसा भी आया जब कोर्टरूम में सबको हंसी आ गई. मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने वकील ने कहा- ‘आप वीर हो सकते हैं लेकिन आप अग्निवीर नहीं हैं’. जानिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने ऐसा क्यों कहा?
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का यह कमेंट एडवोकेट शर्मा की ओर से दी गई जोशीली दलीलों के बाद आया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मजाकिया अंदाज में यह टिप्पणी करते हुए इस बात पर ध्यान दिलाने की कोशिश की कि अधिवक्ता इस मामले में पीड़ित पक्ष (यानी वे उम्मीदवार जो अग्निवीर भर्ती में शामिल होंगे) नहीं है. हां.. लेकिन उन्होंने जनहित याचिका दाखिल जरूर की है.
PIL के लिए जाने जाते हैं एडवोकेट शर्मा
गौरतलब है कि शर्मा को विभिन्न मुद्दों में जनहित याचिका दायर करने के लिए जाना जाता है. बाद में एनडीटीवी से बात करते हुए शर्मा ने कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ की टिप्पणी ‘मेरी कड़ी मेहनत और प्रयासों की सराहना’ करने के लिए थी. उन्होंने कहा, ‘जस्टिस चंद्रचूड़ ने ऐसा इसलिए कहा कि अग्निपथ योजना के खिलाफ याचिका दायर करने वाला मैं पहला व्यक्ति था.’
शीर्ष अदालत एडवोकेट शर्मा, हर्ष अजय सिंह और रवींद्र सिंह शेखावत द्वारा दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. हालांकि सभी मामले दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिए गए हैं.