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कोरोना और इबोला से भी खतरनाक मारबर्ग वायरस की दस्तक, अब तक 2 मरीजों ने गंवाई जान,जानें इसके लक्षण-इलाज और बचाव 

वैश्विक स्तर पर जारी कोरोना संकट के बीच एक और नए वायरस ने चिंता बढ़ा दी है. अफ्रीकन देश घाना में इबोला और कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक वायरस मारबर्ग वायरस ने दस्तक दी है.

घाना में कोरोना और इबोला से भी ज्यादा खतरनाक वायरस का पता लगा है. इस वायरस का नाम है मारबर्ग. बताया जा रहा है कि इसकी न तो कोई वैक्सीन बाजार में उपलब्ध है और न ही इसका कोई इलाज. ऐसे में इस जानलेवा वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी चिंतित है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, घाना में मारबर्ग वायरस से संक्रमण के दो मामलों की पुष्टि हो चुकी है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह बीमारी, इबोला के समान एक बेहद संक्रामक रक्तस्रावी बुखार है, जो चमगादड़ों की एक प्रजाति द्वारा लोगों में फैलती है. संक्रमित लोगों के शारीरिक द्रवों व सतहों के संपर्क में आने से इसका प्रसार होता है.

मारबर्ग वायरस के क्या हैं लक्षण

विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से बताया गया कि दक्षिणी घाना में जान गंवाने वाले दोनों रोगियों में दस्त, बुखार, मतली और उल्टी समेत कई लक्षण थे. इस रोग से पीड़ित मरीज को तेज बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द रहता है. मरीजों में पेट में दर्द और ऐंठन जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं. 

साल 1967 से लेकर अब तक एक दर्जन से ज्यादा बार मारबर्ग का प्रकोप  देखने को मिला है. हालांकि इसके ज्यादातर मामले दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका में पाए गए हैं. WHO के अनुसार, वायरस के तनाव और केस प्रबंधन के आधार पर पिछली लहर के दौरान मृत्यु दर 24% से 88% तक रहा है. 

मारबर्ग वायरस के लक्षण

  1. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इसका इनकंबेशन पीरियड 2-21 दिन तक होता है. इस दौरान वायरस अपना रूप बदलता रहता है.
  2. तेज बुखार, तेज सिरदर्द और बहुत कमजोरी का अहसास हो सकता है.
  3. मांसपेशियों में दर्द, तीसरे दिन पानी जैसा दस्त, पेट में दर्द और ऐंठन, उल्टी शुरू हो सकती है.
  4. इस वायरस से संक्रमित मरीजों को एक हफ्ते तक दस्त हो सकता है. अधिक सुस्ती महसूस हो सकती है. चेहरे का रंग बदलने लगता है. आंखें गहरी होने लगती है.
  5. उल्टी और मल में ताजा खून आने लगता है. वहीं, अक्सर नाक, मसूड़ों और योनि से खून बहने के लगता है. जब वायरस शरीर में अधिक घर कर जाता है तो और तेज बुखार हो जाता है.
  6. जब यह वायरस शरीर में अधिक घर कर जाता है कि 8-9 दिनों में लोगों की मौत भी हो सकती है. हालांकि, ऐसी स्थिति घातक मामलों में होती है. बता दें कि मारबर्ग वायरस में मृत्यु दर 23-90 फीसदी के बीच है.

डायग्नोसिस

  1. एंटीजन-कैप्चर डिटेक्शन टेस्ट
  2. सीरम न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट
  3. रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्ट
  4. इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी
  5. सेल कल्चर द्वारा वायरस आइसोलेशन

इलाज और बचाव

वहीं, इलाज की बात करें तो, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, फिलहाल इस वायरस का कोई इलाज नहीं है और न ही बाजार में इसकी कोई वैक्सीन है. अगर बचाव की बात करें तो इस खतरनाक वायरस से बचने के लिए पीपीई किट पहनना आवश्यक है. मास्क और दस्ताने हमेशा पहनकर रखना चाहिए. संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए. अगर संपर्क में आने का अहसास हो तो तुरंत क्वारंटाइन हो जाना चाहिए.

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Pooja Pandey

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