एसआईटी ने तीस्ता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अभी जांच चल रही है, ऐसे में वो गवाह को डरा धमका सकती है और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकती हैं। इस वजह से उन्हें ज़मानत नहीं देनी चाहिए।

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने अहमद पटेल के खिलाफ आरोपों की निंदा की है, जिनका नाम 2002 के गुजरात दंगों पर विशेष जांच दल द्वारा प्रस्तुत एक हलफनामे में सामने आया है। नवंबर, 2020 में कांग्रेस के दिग्गज नेता पटेल का नाम लेने वाले हलफनामे ने एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है।
“अहमद पटेल पर उनकी मृत्यु के 20 महीने बाद साजिश का आरोप लगाना एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ प्रतिशोध का हिस्सा है। यह आरोप लगाना कि अहमद पटेल ने श्रीमती सोनिया गांधी के कहने पर काम किया, निंदनीय और प्रतिशोधी है। विशेष जांच दल एक विशेष रूप से निर्देशित प्रतीत होता है टीम , “पी चिदंबरम ने शनिवार को ट्वीट किया।
अपने हलफनामे में, एसआईटी ने कहा कि कार्यकर्ता तीस्ता साल्वाड – जिन्हें हाल ही में गिरफ्तार किया गया था – 2002 में गोधरा में एक ट्रेन में आग लगने के तुरंत बाद एक निर्वाचित गुजरात सरकार को अस्थिर करने के लिए एक बड़ी साजिश रच रही थी। उन्हें अहमद पटेल से वित्तीय सहायता मिली थी, यह आगे जोड़ा। शुक्रवार को अहमदाबाद की एक अदालत में हलफनामा पेश किया गया।
बता दें कि मामले की जांच कर रहे एसआईटी के जांच अधिकारी बी सी सोलंकी ने शुक्रवार को अहमदाबाद में सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल किया। जिसमें कहा गया कि यह कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के सलाहकार रहे दिवंगत अहमद पटेल के इशारों पर हुआ। हलफनामे के मुताबिक अहमद पटेल से इसके लिए दो बार पैसे लिए गए थे।
एसआईटी ने तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत का विरोध करते हुए एफिडेविट में दावा किया है कि तीस्ता के ज़रिए गुजरात और गुजरात के उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए और राजनैतिक रोटियां सेकने के प्रयास किए गए।
कांग्रेस का पलटवार:
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, “कांग्रेस पर लगाए जा रहे आरोप 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए सांप्रदायिक नरसंहार के लिए खुद को किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री की व्यवस्थित रणनीति का हिस्सा हैं।”
उन्होंने कहा, “दंगों को नियंत्रित करने की उनकी निष्क्रियता और अक्षमता के चलते भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को राजधर्म की याद दिलाई थी।” उन्होंने कहा कि यह एसआईटी अपने सियासी आका की धुन पर नाच रही है और जहां कहेगी वहीं बैठ जाएगी। हम जानते हैं कि कैसे एक पूर्व एसआईटी प्रमुख को मुख्यमंत्री को ‘क्लीन चिट’ देने के बाद एक राजनयिक कार्य के जरिए पुरस्कृत किया गया था।
संबित पात्रा ने क्या कहा:
भाजपा प्रवक्ता ने अहमद पटेल को लेकर कहा कि हलफनामे से सच सामने आया है कि इन साजिशों को अंजाम देने वाले लोग कौन थे। पात्रा ने कहा कि अहमद पटेल तो बस एक नाम है, लेकिन उनकी बॉस तो सोनिया गांधी थी। सोनिया गांधी ने अपने मुख्य राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के जरिए गुजरात की छवि खराब करने की कोशिश की और नरेंद्र मोदी का अपमान करने का प्रयास किया। वह इस पूरी साजिश के सूत्रधार थीं।
हलफनामे में क्या कहा:
सीतलवाड़ ने कथित तौर पर शुरू से ही इस साजिश के हिस्से के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। क्योंकि गोधरा ट्रेन की घटना के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने दिवंगत अहमद पटेल के साथ बैठक की और पहली बार में 5 लाख रुपये लिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के निर्देश पर एक गवाह ने उन्हें पैसे दिए।
अदालत में पेश हुए एफिडेविट में कहा गया है कि शाहीबाग में सरकारी सर्किट हाउस में पटेल और सीतलवाड़ के बीच दोबारा बैठक हुई, जिसमें गवाह ने पटेल के निर्देश पर सीतलवाड़ को 25 लाख रुपये और दिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैठक में दिया गया कैश किसी राहत संबंधी कोष का हिस्सा नहीं था।
हलफनामे में दावा किया गया है कि सीतलवाड़ ने कथित तौर पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित गुजरात राज्य में कई अधिकारियों और अन्य निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए राजनीतिक दल से गलत तरीके से वित्तीय और कई अन्य लाभ प्राप्त किए।
हलफनामे में एसआईटी ने तीस्ता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अभी जांच चल रही है, ऐसे में वो गवाह को डरा धमका सकती है और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकती हैं। इस वजह से उन्हें ज़मानत नहीं देनी चाहिए।
बता दें कि इसी साल 25 जून को अहमदाबाद में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में सीतलवाड़, श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी भट्ट से पूछताछ की जा रही है। गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के दंगों से संबंधित मामलों में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और अन्य को दी गई क्लीन चिट के खिलाफ एक याचिका खारिज की थी।