महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संग्राम अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट की सीजीआई बेंच के सामने आज महाराष्ट्र के सियासी खींचतान का मामला रखा गया.

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष को उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने के अनुरोध पर फिलहाल कोई फैसला ना लेने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की एक बेंच ने सीनियर वकील कपिल सिब्बल की ओर से दाखिल किए उस प्रतिवेदन पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि उद्धव ठाकरे धड़े की ओर से दायर कई याचिकाओं पर आज सुनवाई होनी है.
खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले पर उसका फैसला आने तक कोई निर्णय नहीं करने के लिए कहा है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के खेमे के लिए आज सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को एक बड़ी राहत समझा जा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को भी राहत देते हुए कहा कि नए स्पीकर फिलहाल किसी भी विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट से शिकायत की थी कि उनके खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई हो सकती है.
उद्धव ठाकरे नीत गुट ने तीन और चार जुलाई को हुई महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही की वैधता को भी चुनौती दी है, जिसमें विधानसभा के नए अध्यक्ष का चयन किया गया था और इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शक्ति परीक्षण में बहुमत साबित किया था. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शिवसेना के बागी विधायकों को राहत देते हुए 27 जून को कहा था कि संबंधित विधायकों की अयोग्यता पर 11 जुलाई तक फैसला नहीं लिया जाना चाहिए. उसने राज्य सरकार और अन्य से याचिकाओं पर अपना रुख स्पष्ट करने को भी कहा था.