यशवंत सिन्हा ने कहा है कि वे रबर स्टांप राष्ट्रपति नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा कि अगर वे राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो वे संविधान के कस्टोडियन के रूप में काम करेंगे, न कि रबर स्टांप के रूप में।

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहा कि उन्होंने समर्थन के लिए पीएम मोदी सहित केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों को फोन किया था, लेकिन किसी से भी संपर्क नहीं हो पाया. यशवंत सिन्हा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश और वित्त मंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि उन्होंने समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से संपर्क साधने का प्रयास किया था. सिन्हा ने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री जी के यहां फोन किया था, पूर्व की तरह इस बार भी उनके यहां से वापस कोई फोन नहीं आया. मैंने राजनाथ सिंह को फोन किया था, उनके यहां से फोन आया तो उस वक्त मैं उपलब्ध नहीं हो पाया. बाद में मैंने फोन किया तो उनसे बात नहीं हो पाई. भाजपा में जितने पुराने साथी हैं, सबसे संपर्क करने की कोशिश करूंगा.’
मुर्मू और मोदी को लेकर क्या बोले यशवंत सिन्हा?
यशवंत सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वक्तव्य में द्रौपदी मुर्मू के मीडिया से मुखातिब न होने को लेकर सवाल उठाया। साथ ही उन्होंने 2014 में खुद को टिकट और मंत्रीपद न मिलने को लेकर भी जवाब दिया।
1.यशवंत सिन्हा ने कहा, “मैं कई जगहों पर पूछता हूं कि द्रौपदी जी कहीं गईं तो क्या उन्होंने कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की। देश की जो स्थिति है, उस पर कुछ बोला। आर्थिक स्थिति जो है देश की उस पर क्या ख्याल हैं। भारत की जो विदेश नीति है, उस पर उनके ख्याल क्या हैं? समाज में जो कुछ हो रहा है, उन पर उनके विचार क्या हैं?”
2. “जब कल वो आपके शहर आती हैं तो आपसे मुखातिब हों तो मेरी उम्मीद है कि यह सवाल उठेंगे। लेकिन अगर वे सबसे सम्मिलित रूप से नहीं मिलती हैं और सिर्फ एक-दो लोगों से मिलती हैं, क्योंकि इस सरकार में संवाद एकतरफा है। एक व्यक्ति बोलता है, सब लोग सुनते हैं। अगर देश के प्रधानमंत्री ने ही आठ साल में कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया है तो हम राष्ट्रपति के उम्मीदवार से ये उम्मीद क्यों करें?”
3. “लेकिन अगर वे आपसे मिलें तो हम यह जानना चाहेंगे कि क्या वे मेरी तरह शपथ लेने के लिए तैयार हैं? क्या वे संविधान की रक्षा के लिए तैयार हैं या एक साइलेंट और खामोश राष्ट्रपति बन कर रह जाएंगी। भारत को आज खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए। आज भारत को अपने विवेक का इस्तेमाल करने वाला राष्ट्रपति चाहिए।”
4. जब यशवंत सिन्हा से पूछा गया कि आप मोदी जी की पॉलिसी का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि उनकी कैबिनेट में आपको जगह नहीं मिली, पार्टी से आपको टिकट नहीं मिला था। इस पर उन्होंने कहा, “वीपी सिंह की सरकार बनी थी तो मुझे राज्यमंत्री का पद मिल रहा था। लेकिन मैं राष्ट्रपति भवन से वापस आ गया, क्योंकि मैंने देखा कि वे मुझे राज्यमंत्री बना रहे हैं। वीपी सिंह सरकार के आने से पांच साल पहले मैंने आईएएस की नौकरी छोड़ी थी भारत सरकार में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद से। पांच साल बाद ही मुझे सरकार में राज्य मंत्री का पद मिल रहा था, लेकिन मैं नहीं बना। बन सकता था, सिर्फ शपथ लेने की ही देर थी।
5.उन्होंने कहा, “मैंने 2014 में ही स्वयं तय किया था कि मैं लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ूंगा। मेरे साथियों से पूछिए आप जो जनप्रतिनिधि बनता है, उसकी क्या हालत है। उसे लोग रात-दिन अपने काम के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। 2014 में मुझे लगा कि मैं ऐसी उम्र में पहुंच गया हूं, जहां मैं यह सब काम नहीं कर सकता हूं। मैंने खुद पार्टी से मिन्नत की थी कि मुझे टिकट मत दो। कभी राजनाथ सिंह आएं तो पूछ लीजिएगा कि क्या उन्होंने चुनाव कमेटी की बैठक से मुझे कहा था कि आप 2014 में अंतिम बार लोकसभा चुनाव लड़ लें। मैंने उनसे जोर देकर कहा था कि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता। तो यह कहां से बात आ गई कि 2014 में मुझे टिकट नहीं मिला। ऐसी की तैसी।”
6. “जब टिकट नहीं मिला तो मैं मंत्री भी कैसे बनता। भारत के संविधान में क्या ऐसा प्रावधान है कि आप बिना लोकसभा-राज्यसभा जाए बिना मंत्री बन जाएंगे। मोदीजी से मेरी कोई व्यक्तिगत कोई लड़ाई नहीं है। सिर्फ दो चीजों को लेकर लड़ाई है। एक उनकी स्टाइल ऑफ फंक्शनिंग यानी उनके काम करने की शैली और दूसरा उनकी नीतियां।”