आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की मां विजयम्मा ने वाईएसआरसीपी के मानद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपनी बेटी का साथ देने के लिए यह फैसला किया है।

दक्षिण भारत की राजनीति में एक बड़ी हलचल हुई है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की मां विजयम्मा ने YSRCP के मानद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद अब वे अपनी बेटी के साथ जाएंगी। गौरतलब है कि उनकी बेटी ने तेलंगाना में एक नई पार्टी का गठन किया है। आपको बता दें कि तेलंगाना में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं।
गौरतलब है कि कि आज ही जगन मोहन रेड्डी के पिता की 73वीं जयंती है। इस मौके पर जगन ने अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ उनकी पत्नी और मां भी मौजूद थी।
हमेशा रहूंगी बेटे के करीब – विजयम्मा
विजयम्मा की बेटी शर्मिला तेलंगाना में वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की कमान संभाल रही हैं। विजयम्मा ने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा कि वह हमेशा जगनमोहन रेड्डी के करीब रहेंगी। उन्होंने शुक्रवार को शुरू हुए पार्टी के अधिवेशन में वाईएसआर कांग्रेस छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘एक मां के तौर पर मैं हमेशा जगन के करीब रहूंगी।’’ विजयम्मा ने कहा, ‘‘शर्मिला अपने पिता के आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए तेलंगाना में अकेले लड़ाई लड़ रही हैं। मुझे उसका समर्थन करना होगा। मैं इस दुविधा में थी कि क्या मैं दो राजनीतिक दलों (दो राज्यों में) की सदस्य हो सकती हूं। वाईएसआर कांग्रेस के मानद अध्यक्ष पद पर बने रहना मेरे लिए मुश्किल है।’
बहनोई भी बनाएंगे नई पार्टी
हालांकि, इस मौके से शर्मिला के पति अनिल कुमार नदारद दिखे। अनिल ने हाल ही में आंध्र प्रदेश में एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का भी संकेत दिया था। उन्होंने विशाखापत्तनम में पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों के विभिन्न समूहों के नेताओं से मुलाकात की और उनकी समस्याओं पर चर्चा की थी।
इस मौके पर उन्होंने कहा था, “चूंकि उन्होंने मेरी अपील पर वाईएसआरसीपी को समर्थन दिया था, अब यह मेरा कर्तव्य है कि मैं उनके साथ खड़ा रहूं। मैं अपनी बात से पीछे नहीं हट सकता।”
विजयम्मा के नाम से मशहूर
वाईएस विजयलक्ष्मी विजयम्मा के नाम से मशहूर हैं। सितंबर 2009 में उन्होंने अपने पति वाईएसआर की मौत से रिक्त हुई सीट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। बाद में 2014 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गई थीं। इसके बाद से वह चुनावी राजनीति से दूर ही रही हैं।