देश राज्य

नूपुर शर्मा को लेकर जस्टिस सूर्यकांत और परदीवाल की समीक्षा के खिलाफ उतरे 14 पूर्व जज,और 117 रिटायर्ड सैन्य अफसर लिखी खुली चिट्ठी

15 पूर्व न्यायाधीशों, 77 पूर्व नौकरशाहों और सशस्त्र बलों के 25 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की हाल ही में निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा के खिलाफ की गई टिप्पणियों की आलोचना की है.

15 पूर्व न्यायाधीशों, 77 पूर्व नौकरशाहों और सशस्त्र बलों के 25 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की हाल ही में निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा के खिलाफ की गई टिप्पणियों की आलोचना की है. बता दें कि नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के बाद विरोध और एक राजनयिक विवाद पैदा हो गया था. इन लोगों ने अपने खुले पत्र में कहा है कि दो-न्यायाधीशों की पीठ की यह टिप्पणी कि — “देश में जो हो रहा है उसके लिए वो (नूपुर शर्मा) अकेले जिम्मेदार है” दरअसल “उदयपुर में नृशंस सिर काटने के अपराध को दोषमुक्त” करता हुआ दिखाई दे रहा है. गौरतलब है कि, कन्हैया लाल नाम के एक दर्जी की पिछले महीने दो लोगों ने हत्या कर दी थी जिसे हत्यारों ने “पैगंबर और इस्लाम का अपमान” का बदला कहा था.

नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि देश भर में उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को एक साथ जोड़कर दिल्ली स्थानांतरित किया जाए. अपनी याचिका में उन्होंने यह भी कहा कि उसे और उसके परिवार को सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ रहा है.

अदालत ने 1 जुलाई को उसकी याचिका को खारिज कर दिया था और कुछ तीखी टिप्पणियां भी कीं. न्यायाधीशों ने कहा कि नूपुर शर्मा की “बेलगाम जुबान” ने “पूरे देश में आग लगा दी” है, और उनकी टिप्पणी या तो सस्ते प्रचार, राजनीतिक एजेंडे या कुछ “नापाक” गतिविधियों के लिए थी. हालांकि ये टिप्पणियां अंतिम आदेश का हिस्सा नहीं थीं.

आज जारी किए गए खुले पत्र में कहा गया है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ की “दुर्भाग्यपूर्ण और अभूतपूर्व टिप्पणियां” न्यायिक लोकाचार के अनुरूप नहीं हैं. “इस तरह के अपमानजनक रवैये का न्यायपालिका के इतिहास में कोई समानांतर नहीं हैं.”

इसमें कहा गया है कि न्यायधीशों के टिप्पणियों का उनकी याचिका में उठाए गए मुद्दे से “कोई संबंध नहीं” था. पत्र में कहा गया है कि उन्हें “न्यायपालिका तक पहुंच से वंचित” किया गया था जो “भारत के संविधान की प्रस्तावना, भावना और सार” का उल्लंघन है.

पत्र में कहा गया है, “कोई भी यह समझने में विफल रहता है कि नूपुर के मामले को एक अलग प्लेटफार्म पर क्यों रखा जा रहा है.” पूर्व जजों औऱ दिग्गज नौकरशाहों ने अपने पत्र में कहा है कि “सुप्रीम कोर्ट के इस तरह के दृष्टिकोण की कोई प्रशंसा नहीं कर सकता है और ये टिप्पणी सर्वोच्च न्यायालय की पवित्रता और सम्मान को प्रभावित करता है.”

117 हस्ताक्षरकर्ताओं में बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश क्षितिज व्यास, गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसएम सोनी, राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आरएस राठौर और प्रशांत अग्रवाल और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसएन ढींगरा शामिल हैं. इनमें पूर्व आईएएस अधिकारी आरएस गोपालन और एस कृष्ण कुमार, पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी एसपी वैद और पीसी डोगरा, लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त) और एयर मार्शल एसपी सिंह (सेवानिवृत्त) भी शामिल हैं.

इससे पहले जस्टिस जेबी पारदीवाला ने उनके और जस्टिस सूर्यकांत के खिलाफ सोशल मीडिया पर हुए हमलों पर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था, “न्यायाधीशों पर उनके फैसलों के लिए व्यक्तिगत हमले खतरनाक परिदृश्य की ओर ले जाते हैं.”

उन्होंने एक समारोह में अपने संबोधन में आगे तर्क दिया, “सोशल और डिजिटल मीडिया मुख्य रूप से न्यायाधीशों के निर्णयों के रचनात्मक और आलोचनात्मक मूल्यांकन के बजाय उनके खिलाफ व्यक्तिगत राय व्यक्त करने का सहारा लेता है. यह न्यायिक संस्थान को नुकसान पहुंचा रहा है और इसकी गरिमा को कम कर रहा है.”

Avatar

Pooja Pandey

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Welcome to fivewsnews.com, your reliable source for breaking news, insightful analysis, and engaging stories from around the globe. we are committed to delivering accurate, unbiased, and timely information to our audience.

Latest Updates

Get Latest Updates and big deals

    Our expertise, as well as our passion for web design, sets us apart from other agencies.

    Fivewsnews @2024. All Rights Reserved.