भारत सरकार ने इस पुल के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट दिया था. भारतीय दूतावास ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है. इस पुल को 4000 करोड़ बांग्लादेशी टका के खर्च से बनाया गया है.

बांग्लादेश में भारत की आर्थिक मदद से बने रूप्शा रेलवे ब्रिज का निर्माण कार्य 25 जून को पूरा हो गया. यह ब्रिज बांग्लादेश का सबसे लंबा रेलवे ब्रिज बताया जा रहा है. बांग्लादेश में भारतीय दूतावास ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है. यह ब्रिज खुलना-मोंगला बंदरगाह रेलवे लाइन का प्रॉजेक्ट का हिस्सा है.
भारत सरकार ने इस पुल के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट दिया था. भारतीय दूतावास ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है. इस पुल को 4000 करोड़ बांग्लादेशी टका के खर्च से बनाया गया है. माना जा रहा है कि इस महीने से बांग्लादेश के इस सबसे बड़े रेल पुल पर ट्रेनें दौड़ने लगेंगी. विशेषज्ञों का मानना है कि इस पुल के बन जाने से अब बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को काफी गति मिलेगी. यही नहीं सुंदरबन में टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा.
पद्मा ब्रिज के बारे में भी जानिए
यह एक मल्टीपर्पज ब्रिज है. यह रोड-रेल ब्रिज है. यानी व्हीकल्स और ट्रेन दोनों के लिए तैयार किया गया है. इस ब्रिज का निर्माण बांग्लादेश की सरकार ने अपने ही रिर्सोसेज से कराया है. यानी किसी दूसरे देश या संस्थान की मदद नहीं ली है. यह शरीयतपुर-मदारीपुर के जरिये देश के दक्षिण-पश्चिम को उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र से कनेक्ट करता है. यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट माना जाता है.
यह ब्रिज 150.12 मीटर (492.5 फीट) लंबा 41 फैला, 6.150 किमी (3.821 मील) कुल लंबाई और 22.5 मीटर (74 फीट) चौड़ाई वाला पुल है. यह बांग्लादेश का सबसे लंबा पुल है और गंगा के ऊपर सबसे लंबा पुल है.
क्या होगा ब्रिज का फायदा?
इस रेल पुल की मदद से अब मोंगला बंदरगाह तक सामानों की आवाजाही बढ़ जाएगी. इससे आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होगी. इसमें देश के दक्षिणी पश्चिमी इलाके का औद्योगीकरण बढ़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस पुल के बन जाने के बाद अब भारत, नेपाल और भूटान को सामानों की सप्लाई बहुत आसानी से और कम दाम में हो सकेगी.