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GST के 5 साल : रोजमर्रा की चीजें हुईं सस्ती, सरकार की भी बढ़ी कमाई,आम आदमी को भी मिली टैक्‍स में राहत!

सामान दुकान से आपकी जेब तक सस्ते में आ जाता है। बल्कि फैक्ट्री से दुकानों तक ढुलाई भी काफी आसान और किफायती हो गई है

देश में वस्‍तु एवं सेवा कर को लागू हुए पांच साल बस पूरे होने वाले हैं. देश की अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली में जीएसटी से आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है. सरकार के खजाने और आम आदमी की जेब पर जीएसटी लागू होने का बहुत सकारात्‍मक प्रभाव पड़ा है. इससे एक ओर जहां सरकार की आमदनी में भारी इजाफा हुआ है, वहीं आम उपभोक्‍ता को भी रोजमर्रा की बहुत सी चीजें सस्‍ती मिलने लगी हैं. टैक्‍स व्‍यवस्‍था के सरलीकरण से छोटे दुकानदार से लेकर बड़ी कंपनियों तक को व्‍यापार करने में आसानी हुई है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1 जुलाई 2017 को गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स लागू हुआ था. अपने पांच साल के सफर में GST ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं. टैक्‍स कलेक्‍शन घटने की तमाम शंकाओं को दूर करते हुए जीएसटी ने सरकारी खजाने को खूब भरा है. 2017-18 (अगस्त-मार्च) में रु 7.18 लाख करोड़ जीएसटी संग्रह हुआ. 2018-19 में 11.17 लाख करोड़ रुपए, 2019-20 12.22 लाख करोड़ रुपए, 2020-21 में 11.37 लाख करोड़ रुपए और 2021-2022 में 14.83 लाख करोड़ रुपए सरकारी खजाने में आए. जीएसटी लागू होने से टैक्स चोरी पर भी लगाम लगी है. पिछले 18 महीने में 50,000 करोड़ रु का GST फ्रॉड पकड़ा गया है

रोजमर्रा के उपयोग की चीजें हुई सस्‍ती

जीएसटी लागू होने के बाद रोजमर्रा के इस्‍तेमाल की 117 वस्‍तुओं के दाम घटे हैं. ऐसा हुआ है इन पर लगने वाली टैक्‍स दरों के कम होने के कारण. इनमें से कई वस्‍तुओं पर तो अब टैक्‍स लगता ही नहीं है. जीएसटी हमारे लिए कितना काम का साबित हुआ है इसे हम हॉर्लिक्‍स और टूथपेस्‍ट के दाम से समझ सकते हैं.  अगर अभी आप हॉर्लिक्स का एक पैकेट खऱीदते हैं तो आपको 790 रुपए देनें होंगे जो कि  इसका अधिकतम खुदरा मूल्‍य है. लेकिन अगर जीएसटी लागू नहीं हुआ होता तो आपको इसके करीब 857 रुपए देने होते. ऐसा इसलिए होता क्‍योंकि पहले केंद्र और राज्‍य का टैक्‍स मिलाकर इस पर 28 फीसदी टैक्‍स देना होता था. लेकिन, अब इस पर सिर्फ 18 फीसदी ही टैक्‍स लगता है.

इसी तरह, आपको आज जिस टूथपेस्ट को खरीदने पर 253 रुपये खर्च करने पड़ते हैं,  उसके लिए आपको अगर जीएसटी के बजाय पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था लागू होती तो 272 रुपए देने होते क्‍योंकि अब इस पर लगने वाला टैक्‍स 10 फीसदी घट गया है. इसलिए अब यह सस्‍ता मिल रहा है.

माल ढुलाई हुई आसान और सस्‍ती

देश में एक ही कर व्‍यवस्‍था होने के कारण अब फैक्ट्रियों से दुकानों तक माल ढुलाई करना न केवल आसान हुआ है बल्कि अब इसमें लगने वाले समय की भी बचत होती है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रेसिडेंट कुलतरण सिंह अठवाल का कहना है कि आज से 5 साल पहले हर एक राज्य के बॉर्डर पर घंटों रुकना पड़ता था. दिल्ली से बैंगलोर जाने में 15 नाकों पर चेकिंग होती थी. अब ये सब नहीं है. अब दिल्‍ली बैंगलोर 50 लीटर डीजल की बचत होती है.

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Pooja Pandey

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