असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा ‘रामपुर और आजमगढ़ चुनाव के नतीजे से साफ जाहिर होता है कि सपा में भाजपा को हराने की न तो काबिलियत है और ना क़ुव्वत……

आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की है. आजमगढ़ से भाजपा के दिनेश लाल यादव ने धर्मेंद्र यादव को हराया है. रामपुर में आजम खान के करीबी आसीम रजा को भाजपा के धनश्याम लोधी ने हराया. रामपुर और आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी को मिली करारी हार पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है. चुनाव के नतीजे से साफ जाहिर होता है कि सपा में भाजपा को हराने की न तो काबिलियत है और ना कुव्वत.
ओवैसी ने मुसलमानों से की यह अपील
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा ‘रामपुर और आजमगढ़ चुनाव के नतीजे से साफ जाहिर होता है कि सपा में भाजपा को हराने की न तो काबिलियत है और ना क़ुव्वत. मुसलमानों को चाहिए कि वो अब अपना कीमती वोट ऐसी निकम्मी पार्टियों पर जाया करने के बजाये अपनी खुद की आजाद सियासी पहचान बनाए और अपने मुकद्दर के फैसले खुद करें’.
क्या बोले आजम खान?
रामपुर में मिली करारी हार पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने कहा कि इसे न चुनाव कह सकते हैं न चुनावी नतीजे आना कह सकते हैं. 900 वोट के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ 6 वोट डाले गए और 500 के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ 1 वोट डाला गया. जिस तरह से वोट डाले गए, हम अपने प्रत्याशी की जीत मानते हैं.
मुसलमान खुद की आजाद सियासी पहचान बनाएं
असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी में हुए उपचुनावों के नतीजों के बाद ट्वीट किया, “रामपुर और आज़मगढ़ चुनाव के नतीजे से साफ़ ज़ाहिर होता है कि सपा में भाजपा को हराने की न तो क़ाबिलियत है और ना क़ुव्वत। मुसलमानों को चाहिए कि वो अब अपना क़ीमती वोट ऐसी निकम्मी पार्टियों पर ज़ाया करने के बजाये अपनी खुद की आज़ाद सियासी पहचान बनाए और अपने मुक़द्दर के फ़ैसले ख़ुद करे।”
आजमगढ़ और रामपुर में सपा के लिए क्यों बड़ी है हार
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के आजमगढ़ और पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के रामपुर सीट से इस्तीफे के बाद यहां उपचुनाव हुए। रामपुर और आजमगढ़ सपा के दो सबसे बड़े नेताओं अखिलेश यादव और आजम खान के निर्वाचन क्षेत्र हैं और ये दोनो ही सीटें सपा के दो सबसे बड़े नेताओं की गढ़ मानी जाती हैं। आजमगढ़ सीट पर पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का कब्जा था और उन्होंने मार्च में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था।