रांची में हुई हिंसा और दंगों को लेकर सियासत तेज हो गई है. मामला अब कांग्रेस-झामुमो बनाम बीजेपी-गवर्नर का हो गया है। हालांकि हिंसा के मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद झामुमो-कांग्रेस बैकफुट पर है, लेकिन बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने भी हिंसा को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

झारखंड की राजधानी रांची में हुई हिंसा और दंगों के बाद पुलिस ने आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पोस्टर चिपकाए थे, लेकिन इसके बाद झामुमो ने आपत्ति दर्ज कर पोस्टर को हटा लिया. इसके साथ ही गृह जेल एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने इस मामले में रांची के एसएसपी से स्पष्टीकरण मांगा है. अब इस मामले को लेकर राज्य में सियासत भी तेज हो गई है. आरोपितों के पोस्टर हटाने के लिए जहां मुख्य विपक्षी दल बीजेपी फ्रंटफुट पर आ गई है, वहीं गठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस और झामुमो बैकफुट पर आ गए हैं.
गौरतलब है कि रांची में हुई हिंसा के बाद राज्यपाल के आदेश के बाद रांची पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सभी आरोपितों के पोस्टर जारी कर शहर के सभी चौक-चौराहों को लगाने की योजना बनाई थी. लेकिन झामुमो पोस्टर लगाने के पक्ष में नहीं था. कांग्रेस ने यह भी कहा कि आरोपियों के पोस्टर लगाना ठीक नहीं है। इसके बाद अब मामला झामुमो-कांग्रेस बनाम बीजेपी-गवर्नर का हो गया है। लेकिन इन सबके बीच रांची हिंसा के आरोपी मास्टर माइंड नवाब चिश्ती की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस और झामुमो बैकफुट पर आ गए हैं क्योंकि उनके साथ गठबंधन के कई बड़े नेताओं की तस्वीर नवाब के सोशल मीडिया पेज पर शेयर की जा चुकी है. चिश्ती।
झामुमो ने गलत पोस्टर लगाने को ठहराया जायज
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद पांडेय ने पोस्टर हटाने पर बोलते हुए कहा कि वह अपनी पार्टी की ओर से पुलिस को बताना चाहते हैं कि पुलिस ऐसा कोई कदम न उठाए जिससे समाज में नफरत और विद्वेष फैले. . उन्होंने कहा कि रांची हिंसा के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन ऐसा किया जाए कि आने वाले समय में इस तरह की घटनाएं राज्य में न हों. राज्यपाल के पोस्टर लगाने के आदेश पर उन्होंने कहा कि क्या राज्यपाल को इस तरह के आदेश देने का अधिकार है.
बाबूलाल ने लगाए सरकार पर गंभीर आरोप
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार हिंसा के आरोपितों के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखती है, इसलिए आरोपियों के पोस्टर हटा दिए गए हैं. सरकार के इशारे पर। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की एजेंसियों ने पहले अलर्ट दिया था कि हिंसा भड़क सकती है, लेकिन इसके बावजूद पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात नहीं किया गया. साथ ही उन्होंने हिंसा के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.