अब आधार को जन्म से लेकर मृत्यु तक सहारा मिलेगा। बच्चे के पैदा होते ही अस्थाई आधार बनाया जाएगा, 5 साल की उम्र में स्थायी किया जाएगा। मृत्यु रिकॉर्ड को भी आधार से जोड़ा जाएगा ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ व्यर्थ न जाए।

अब नवजात बच्चे का भी आधार कार्ड बनेगा। यह आधार कार्ड अस्थायी होगा। बाद में इसे स्थायी किया जाएगा। नए नियम के मुताबिक, आधार कार्ड को डेथ रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा, ताकि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर में कोई फ्रॉड न हो। शिकायतें हैं कि लाभार्थी की मृत्यु के बाद कोई और उससे संबंधित योजना का लाभ उठाता है। आधार को डेथ रिकॉर्ड से लिंक करते ही इस तरह की अनियमितताएं बंद हो जाएंगी। जहां तक नवजात बच्चे के लिए अस्थायी आधार कार्ड का सवाल है, जब बच्चा 5 साल का हो जाता है, तो अस्थायी आधार कार्ड को स्थायी आधार पर परिवर्तित कर दिया जाएगा। आधार यूआईडीएआई की सरकारी एजेंसी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण आधार को अस्थायी आधार और मृत्यु रिकॉर्ड से जोड़ने पर काम कर रही है।
यूआईडीएआई आधार से जुड़े दो नए पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करने जा रहा है। इस परियोजना के तहत आधार को जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन का अहम हिस्सा बनाया जाएगा। अगर बच्चे का आधार जन्म के समय ही बन जाता है तो इससे जुड़ी हर योजना में पारदर्शिता आएगी। बच्चे के अधिकार या अधिकार को कोई और नहीं मार सकेगा। कुछ ऐसी ही पारदर्शिता व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी देखने को मिलेगी। लाभार्थी की मृत्यु के बाद योजना या उससे संबंधित प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण में धांधली नहीं होनी चाहिए, किसी और को पेंशन आदि नहीं जुटानी चाहिए।
स्थायी आधार कैसे बनाये
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नवजात शिशु और मृत्यु पंजीकरण रिकॉर्ड को बहुत जल्द आधार से जोड़ा जाएगा। नवजात बच्चे को जन्म के समय ही अस्थायी आधार दिया जाएगा। बाद में जब बच्चा 5 साल का हो जाएगा तो उसका बायोमेट्रिक डाटा रिन्यू कर दिया जाएगा। अस्थायी आधार को स्थायी में परिवर्तित किया जाएगा। इससे बच्चे को सरकार की हर उस योजना का लाभ मिल सकेगा जो उसके लिए जारी की जाती है। बच्चे का परिवार भी उन सभी योजनाओं का लाभ उठा सकेगा और आधार नंबर के जरिए उसकी निगरानी की जा सकेगी। इससे किसी भी तरह की अनियमितता को रोकने में मदद मिलेगी।
ऐसे लिया जाएगा बच्चों का बायोमेट्रिक डाटा
5 साल की उम्र तक पहुंचने पर बच्चों का बायोमेट्रिक डेटा लिया जाता है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत यूआईडीएआई की टीम घर-घर जाकर 5 साल की उम्र के बच्चों का बायोमेट्रिक डेटा कलेक्ट करेगी। इसी आधार पर इन बच्चों को स्थायी आधार दिया जाएगा। इसके बाद जब बच्चा 18 साल का हो जाएगा तब उसका बायोमेट्रिक अपडेट किया जाएगा। इसके बाद बायोमेट्रिक डाटा हमेशा के लिए वही रहेगा और जीवन भर उसी के आधार पर काम होगा।
आधार के जरिए कई तरह के दोहराव को खत्म करने की तैयारी चल रही है। इसके तहत किसी व्यक्ति के आधार कार्ड को उस व्यक्ति के अन्य दस्तावेजों के साथ क्रॉस चेक किया जाएगा। उदाहरण के लिए, आधार को ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पैन आदि से क्रॉस चेक किया जाएगा। रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “आधार की क्रॉस चेकिंग का काम पहले ही एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हो चुका है और वर्तमान में प्रगति पर है।” इसका उद्देश्य है कि एक व्यक्ति को केवल एक आधार नंबर जारी किया जाए ताकि सरकारी खर्च न बढ़े और सरकारी धन की बर्बादी रुके।