महाराष्ट्र में दो दशक से भी अधिक समय बाद शुक्रवार को राज्यसभा चुनाव हुए। इतने ही समय बाद यह पहला मौका था जब बीजेपी और शिवसेना आमने- सामने थी। 6 सीटों पर चुनाव था और उम्मीदवार थे सात। चुनाव के दिन सुबह से लेकर देर रात तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला। चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद देर रात वोटों की गिनती शुरू हुई और जो नतीजे सामने आए उसमें बीजेपी के सभी 3 उम्मीदवार विजयी हुए।

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की राज्यसभा की तीसरी सीट पर जीत ने सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी गठबंधन को चौंका दिया है. भाजपा की इस जीत के सूत्रधार देवेंद्र फडणवीस की कोर टीम के सदस्य आशीष कुलकर्णी हैं. वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के उपाध्यक्ष आशीष कुलकर्णी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत शिवसेना से की थी. वह 2003 में कांग्रेस में शामिल हुए. यहां कई साल रहने के बाद कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हुए.
शिवसेना में उन्होंने सुभाष देसाई के अधीन काम किया, जो आजकल महाराष्ट्र सरकार में उद्योग मंत्री के पद पर आसीन हैं. उन्हें शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का विश्वसनीय सहयोगी माना जाता था. भाजपा के धनंजय महादिक ने शिवसेना के संजय पवार को राज्यसभा की छठी सीट के लिए हुए मतदान में मात दी. द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक भाजपा के एक नेता का कहना था कि चुनाव के लिए हमारी रणनीति बहुत आसान थी. हमने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल बोंडे को सबसे ज्यादा 48 वोट दिए.
आशीष की योजना को देवेंद्र फडणवीस ने बखूबी अमलीजामा पहनाया
उस नेता ने आगे कहा, हमारे सभी विधायकों ने दूसरी वरीयता महादिक को दी, जो तीसरे उम्मीदवार थे. यह सब आशीष कुलकर्णी की योजना के मुताबिक हुआ, जिसे भाजपा पर्यवेक्षक अश्विनी वैष्णव और नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने अंतिम रूप दिया था. गोयल और बोंडे को 48-48 वोट मिले थे, जो 4800 अंकों में तब्दील हो गए. दूसरी वरीयता के वोट महादिक को हस्तांतरित कर दिए गए. कुल मिलाकर भाजपा को 106 विधायकों के वोट मिले.
इसके अलावा 8 निर्दलीय और 9 अन्य विधायकों के वोट भी इसमें जुड़े, जिसकी वजह से धनंजय महादिक के कुल 4156 अंक हो गए. भाजपा नेता का कहना है कि, आशीष कुलकर्णी की इस रणनीति को देवेंद्र फडणवीस ने और तराश दिया. भाजपा के वरिष्ठों का कहना है कि फडणवीस और वैष्णव के अलावा इस योजना के बारे में किसी को पता नहीं था. फडणवीस ने ही निर्दलीय विधायकों और दूसरे छोटे दलों को अपने साथ मिलाने का काम किया.
आशीष ने शिवसेना और कांग्रेस दोनों में लंबी राजनीतिक पारियां खेलीं
आशीष कुलकर्णी ने करीब 2 दशक पहले शिवसेना को तब छोड़ने का फैसला किया, जब उद्धव ठाकरे ने पार्टी की बागडोर संभालते ही, उन्हें किनारे कर दिया गया था. उनके नारायण राणे के साथ भी करीबी संबंध थे, जिन्होंने खुद भी उद्धव के साथ काम करने में मुश्किल आती देख कांग्रेस की ओर रुख कर लिया था. आशीष कुलकर्णी को कांग्रेस ने 2009 के लोकसभा चुनाव में 6 संसदीय सीटें जिताने की जिम्मेदारी सौंपी थी. उन्होंने 6 सीटों पर पार्टी को जीत दिलाई.
आशीष के कौशल को देखकर सोनिया गांधी ने उन्हें दिल्ली बुलाया था
उसके बाद उन्हें विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई. आशीष ने अपनी रणनीति के दम पर एक बार फिर कांग्रेस को जीत दिलाई. उनके कौशल को देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें अपने तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के साथ काम करने के लिए दिल्ली बुला लिया था. आशीष कुलकर्णी ने 2017 में कांग्रेस छोड़ दी थी. कुछ वक्त तक वह राजनीति से दूर रहे. फिर उन्होंने भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया.