विश्व व्यापार संगठन मत्स्य पालन पर एक समझौते पर बातचीत करना चाहता है। जिससे विकसित देश और विकासशील देश अलग-अलग हिस्सों में बंटना तय है।

स्विट्जरलैंड के जिनेवा में होने वाले 12वें विश्व व्यापार संगठन की मंत्रिस्तरीय बैठक में विकासशील देशों और विकसित देशों के प्रतिनिधि आमने-सामने होंगे. दरअसल, विश्व व्यापार संगठन मत्स्य पालन को लेकर हुए एक समझौते पर बातचीत करना चाहता है. जिसकी वजह से विकसित देश और विकासशील देश अलग-अलग हिस्सों में बंटना तय है. इस पूरे मामले में भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि समुद्री संसाधनों की कमी के लिए विकसित दुनिया खुद जिम्मेदार है और वह अपने मछुआरों को मिलने वाली सब्सिडी से कोई समझौता नहीं करेगा. बता दें कि इस मंत्रिस्तरीय बैठक में 164 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे.
मछुआरों के अधिकारों से नहीं होगी छेड़छाड़
बैठक की औपचारिक शुरुआत से पहले विश्व व्यापार संगठन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ब्रजेंद्र नवनीत ने कहा कि हम अपने मछुआरों के अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. हम उनकी रोजी-रोटी पर किसी भी तरह का बुरा असर नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि मछुआरों को अभी जो सब्सिडी मिल रही है उस पर कोई रोक नहीं होगी. यह भारत का वादा है और भारत इसके आगे कतई नहीं झुकेगा।
प्रस्तावित फिशरीज सब्सिडाइज एग्रीमेंट के मुद्दों पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद
एमसी 164 सदस्यीय विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है. इस बैठक में मुख्य रूप से कोविड-19 को लेकर डब्ल्यूटीओ की प्रतिक्रिया, पेटेंट छूट, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा, डब्ल्यूटीओ सुधार, प्रस्तावित फिशरीज सब्सिडाइज एग्रीमेंट के मुद्दों पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है. इस सम्मेलन में भारत खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए सार्वजनिक भंडारण (पीएसएच) के मुद्दे के स्थायी समाधान पर जोर देगा. पीएसएच कार्यक्रम एक नीतिगत उपाय होता है जिसके तहत सरकार किसानों से चावल और गेहूं जैसी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदती है और इसका भंडारण करके गरीबों में अनाज वितरित करती है.
हालांकि डब्ल्यूटीओ का कृषि पर समझौता एमएसपी पर अनाज खरीदने की सरकार की क्षमता को सीमित कर देता है. वैश्विक व्यापार नियमों के अनुसार डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश का खाद्य सब्सिडी खर्च 1986-88 के संदर्भ मूल्य पर आधारित उत्पादन मूल्य के 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश मत्स्यपालन सब्सिडी समझौते पर भी बात कर रहे हैं जिसका उद्देश्य अवैध, गैर-सूचित और अनियमित मछली पकड़ने के लिए सब्सिडी खत्म करना और जरूरत एवं क्षमता से अधिक मछली पकड़ने पर सब्सिडी पर रोक लगाना शामिल है ताकि मछली पकड़ने की सतत व्यवस्था को बढ़ावा मिले.
सब्सिडी प्रतिबंध से कम-से-कम 25 साल की राहत मिलनी चाहिए- भारत
ऐसा अनुमान है कि वैश्विक भंडारण का 34 फीसदी जरूरत से ज्यादा मछली पकड़ने से बना है जो 1974 की तुलना में दस फीसदी अधिक है. ये आंकड़े दिखाते हैं कि मछलियों की मौजूदगी वाले क्षेत्रों का बहुत अधिक दोहन हुआ. जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका सब्सिडी को व्यवस्थित और अनुशासित करने पर जोर देते हैं जबकि भारत और इंडोनेशिया जैसे देश विशेष एवं विशेषक व्यवहार के तहत लचीलापन चाहते हैं.
भारत का कहना है कि दूरदराज के जलक्षेत्र में मछली पकड़ने का काम नहीं करने वाले विकासशील देशों को जरूरत से अधिक मछली पकड़ने पर सब्सिडी प्रतिबंध से कम-से-कम 25 साल की राहत मिलनी चाहिए. भारत डब्ल्यूटीओ की आगामी बैठक में ई-कॉमर्स व्यापार पर सीमा शुल्क पर रोक जारी रखने का कड़ा विरोध करेगा और इसे समाप्त करने पर जोर देगा, क्योंकि यह विकासशील देशों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है. भारत और दक्षिण अफ्रीका ने बौद्धिक संपदा अधिकारों में डब्ल्यूटीओ के कुछ प्रावधानों से अस्थायी छूट का भी प्रस्ताव दिया है.