सेबी के अनुसार, स्टॉक ब्रोकर्स और डिपॉजिटरी प्रतिभागियों को नियमित रूप से साइबर सुरक्षा से संबंधित कमजोरियों का आकलन करना चाहिए। यह कार्य वित्तीय वर्ष में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए।

बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को शेयर ब्रोकरों के साथ-साथ डिपॉजिटरी प्रतिभागियों के लिए साइबर सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद करने के इरादे से उनके लिए वित्त वर्ष में कम-से-कम एक बार समग्र साइबर ऑडिट कराना अनिवार्य कर दिया। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की तरफ से जारी एक परिपत्र में शेयर ब्रोकर एवं डिपॉजिटरी प्रतिभागियों के लिए साइबर सुरक्षा संबंधी प्रावधान सख्त करने की जानकारी दी गई।
वित्तीय वर्ष में कम से कम एक बार लेखापरीक्षा आवश्यक
साइबर सुरक्षा के लिए संशोधित ढांचे में ब्रोकरेज फर्मों और डिपॉजिटरी प्रतिभागियों को संवेदनशीलता और महत्व के आधार पर व्यापार संचालन, सेवाओं और डेटा प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण संपत्तियों की पहचान और वर्गीकरण करने की आवश्यकता है। इस अवधि के दौरान व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण सिस्टम, इंटरनेट-फेसिंग एप्लिकेशन, संवेदनशील डेटा वाले सिस्टम, संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा, संवेदनशील वित्तीय डेटा और व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी को महत्वपूर्ण संपत्ति माना जाएगा। सेबी के अनुसार, स्टॉक ब्रोकर्स और डिपॉजिटरी प्रतिभागियों को नियमित रूप से साइबर सुरक्षा से संबंधित कमजोरियों का आकलन करना चाहिए। यह कार्य वित्तीय वर्ष में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए। संबंधित स्टॉकब्रोकर और डिपॉजिटरी प्रतिभागियों को इस परीक्षण के पूरा होने के एक महीने के भीतर अपनी प्रौद्योगिकी समिति द्वारा अनुमोदित अंतिम रिपोर्ट सेबी को प्रस्तुत करनी चाहिए।
निवेशकों के हितों की होगी रक्षा
साइबर सुरक्षा को सुरक्षित करने की यह कवायद निवेशकों के हितों की रक्षा करेगी। दरअसल, जानकारी गलत हाथों में पड़ने से निवेशकों के निवेश का जोखिम बढ़ जाता है। बार-बार ऑडिट होने से ब्रोकर अपने सिस्टम के कमजोर पहलुओं को समझ सकेंगे और उन्हें समय पर ठीक भी कर सकेंगे।