ओडिशा राज्य

सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ मंदिर के आसपास खुदाई के खिलाफ याचिका को किया खारिज,जाने क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर के आसपास निर्माण के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह निर्माण क्या है, और इसे चुनौती क्यों दी गई है?

ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर के आसपास  निर्माण व खुदाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को फैसला सुनाएगा. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच यह तय करेगा कि मंदिर के आसपास पुरी हेरिटेज कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी दी जाए या नहीं. गौरतलब है कि पुरी हेरिटेज कॉरिडोर के निर्माण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस याचिका में दावा किया गया था कि ओडिशा सरकार मन्दिर के नजदीक अनधिकृत तरीके से निर्माण कार्य करा रही है. इससे इस प्राचीन मंदिर के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है.

सरकार ने कहा, मंदिर को नुकसान पहुंचाना मकसद नहीं

हालांकि, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गुरुवार को अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह कार्य मंदिर के सौंदर्यीकरण और तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के लिए किया जा रहा है, जिससे मंदिर को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा.

याचिकाकर्ता ने अवैध निर्माण का लगाया आरोप

याचिकाकर्ता की ओर से महालक्ष्मी पवनि ने कहा कि श्री जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा के भीतर निषिद्ध क्षेत्र में अवैध निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही कोर्ट से आग्रह किया गया कि कोर्ट निर्माण कार्य बंद कराकर इसकी जांच का आदेश दे. अद्भुत शिल्पकला वाला मंदिर ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के साथ-साथ करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है. जहां निषिद्ध क्षेत्र में महिला और पुरुष शौचालय बनाए जा रहे हैं. याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि आर्कियोलॉजिकल स्मारक होने से किसी भी तरह का निर्माण निषिद्ध है. रेगुलेटेड एरिया में भी सक्षम प्राधिकरण की अनुमति से ही निर्माण किया जा सकता है.

सरकार ने कहा अनुमति के बाद हो रहा है निर्माण

ओडिशा सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने बताया कि निर्माण के लिए डायरेक्टर कल्चर ने आवेदन किया, जिसे समुचित प्राधिकरण को भेजा गया था. AG ओडिशा ने यह कहा कि निर्माणकार्य के लिए अनुमति राष्ट्रीय स्मारक अथॉरिटी द्वारा दी गई है. मरम्मत, नवीनीकरण का यह पैमाना उल्लंघन के समान नहीं है. उन्होंने कहा कि यहां महिलाओं के लिए शौचालय, क्लॉक रूम, निर्माण के साथ ही गर्भगृह में प्रवेश के लिए सुविधाओं का इंतजाम किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण, नवीनीकरण, मरम्मत इस कानून या निषेध के तहत शामिल नहीं हैं.

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Pooja Pandey

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