क्वाड सम्मेलन से ठीक पहले चीन ने हिंद-प्रशांत रणनीति पर निशाना साधा और कहा कि चीन को काबू में करने के लिए इसे अमेरिका ने बनाया है और इसका विफल होना तय है। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि क्वाड कभी भी नाटो का रूप नहीं ले सकेगा।

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत नीति “कभी सफल नहीं हो सकती.” चीन की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद हैं और चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ खड़े हो रहे एक समूह के साथ अपना सहयोग बढ़ा रहे हैं. चीनी विदेश मंत्री ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो के साथ गुआंगझू में रविवार को हुई बैठक के बाद कहा, “तथ्य यह साबित करेंगे कि कथित “हिंद-प्रशांत नीति” में काफी मतभेद हैं, यह रणनीति मतभेद बढाने के लिए है, यह नीति शांति भंग करने के लिए है.
विदेश मंत्री बनने के बाद बिलावल की यह पहली चीन यात्रा है। पिछले महीने इमरान खान सरकार के गिर जाने के बाद पाकिस्तान में नयी सरकार बनी थी। वांग ने कहा कि अमेरिका की ‘हिंद-प्रशांत रणनीति’ विफल रणनीति ही बनने जा रही है। वांग की यह टिप्पणी चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर डाली है।उनकी यह टिप्पणी 24 मई को तोक्यो में होने वाले क्वाड सम्मेलन से पूर्व आयी है। इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान एवं आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हिस्सा लेंगे।
क्वाड नहीं बन पाएगा नाटो
चीन उस क्षेत्र को एशिया-प्रशांत क्षेत्र कहता है और वह हिंद-प्रशांत रणनीतिक अवधारणा के विरूद्ध है जिसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरान अहमियत मिली और अब उसे उनके उत्तराधिकारी जो बाइडन जोरदार ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं। वांग ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र को भू-राजनीतिक मंच के बजाय शांतिपूर्ण विकास की भूमि होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत को किसी ब्लॉक, ‘नाटो या शीत युद्ध’ में तब्दील करने की कोशिश कभी सफल नहीं होगी। अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया का समूह क्वाड मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत पर बल देता है, जबकि बीजिंग ने इसकी तुलना ‘एशियाई नाटो’ से की, जिसका उद्देश्य इसके उदय को रोकना था।
चीन को काबू करने के लिए बनाया गया क्वाड
अमेरिका, भारत एवं कई अन्य वैश्विक शक्तियां संसाधन समृद्ध इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के मद्देनजर मुक्त एवं खुला हिंद-प्रशांत की जरूरत की चर्चा कर रही हैं । चीन करीब-करीब संपूर्ण विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, जबकि ताईवान, फिलीपिन, ब्रूनेई, मलेशिया एवं वियतनाम उसके कुछ- कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप एवं सैन्य प्रतिष्ठान बनाये हैं। चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी विवाद है। वांग ने कहा कि ‘आजादी’ एवं ‘खुलापन’ के नाम पर अमेरिका द्वारा ‘तैयार की गयी’ हिंद-प्रशांत रणनीति ‘गिरोह’ बनाने की ओर उन्मुख है। चीन का दावा है कि इस समूह की मंशा ‘चीन के आसपास के माहौल को बदलना’ और चीन पर ‘काबू’ रखना तथा एशिया-प्रशांत देशों को अमेरिकी वर्चस्व का ‘मोहरा’ बनाना है।