प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंकाई लोगों को चेतावनी दी कि ‘अगले कुछ महीने हमारे जीवन के सबसे कठिन महीने होंगे’। 70 से अधिक वर्षों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है फिलहाल हमारे पास बस एक दिन के लिए पेट्रोल का भंडार है।

नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को घोषणा की कि श्रीलंका का आर्थिक संकट एक महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गया है, ने घोषणा की कि द्वीप-देश पेट्रोल के अपने अंतिम दिन तक नीचे था। देश के लिए एक टेलीविज़न संबोधन में, जिसमें हिंसक विरोध और बाद में महिंदा राजपक्षे के अनिच्छुक इस्तीफे को देखा गया है, विक्रमसिंघे ने कहा, “फिलहाल, हमारे पास केवल एक दिन के लिए पेट्रोल का स्टॉक है। अगले कुछ महीने हमारे जीवन में सबसे कठिन होंगे। हमें कुछ बलिदान करने और इस अवधि की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।”
पेट्रोल खत्म होने का क्या मतलब है? ऐसी स्थिति में किसी देश का क्या होता है? श्रीलंका इस संकट से कैसे लड़ेगा? हम स्थिति पर एक नज़र डालते हैं और इनमें से कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं।
श्रीलंका का संकट
सोमवार को, प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि देश में पेट्रोल की कमी हो गई है और आने वाले महीनों में निवासियों को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, श्रीलंका में पेट्रोल का भंडार खत्म हो चुका है। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में इस बात की पुष्टि करते हुए कहा भी कि ‘‘फिलहाल हमारे पास बस एक दिन के लिए पेट्रोल का भंडार है।’’ ऐसे में अब खबर आई है कि भारतीय ऋण सुविधा के माध्यम से श्रीलंका को बड़ी मदद मिलने वाली है।
कल तक पहुंचेगी भारतीय मदद
विक्रमसिंघ ने अपने संबोधन में कहा था, भारतीय ऋण सुविधा से डीजल के दो और खेप 18 मई और एक जून को पहुंचने वाले हैं। इसके अलावा, पेट्रोल के दो खेपों के 18 एवं 29 मई तक श्रीलंका पहुंचने की संभावना है। इसके बाद श्रीलंका में पेट्रोल और डीजल की कमी को काफी हद तक कम कर लिया जाएगा।
खुले बाजार से जुटा रहा डॉलर
श्रीलंका के प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने कहा था, ‘‘ अगले 40 दिनों के लिए में कच्चे तेल एवं भट्ठी तेल श्रीलंका की समुद्री सीमा में खड़े कर लिये गये हैं। हम इन खेपों का भुगतान करने के लिए खुले बाजार से डॉलर जुटाने में लगे हैं। ’’ उन्होंने कहा कि श्रीलंक में बिजली का एक चौथाई हिस्सा तेल से पैदा होता है इसलिए प्रतिदिन बिजली कटौती 15 घंटे तक होगी । उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि हमने इस संकट को टालने के लिए धन पहले ही जुटा लिया है। ’’
आजादी के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा श्रीलंका
श्रीलंका 1948 में मिली आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी से ईंधन, रसोई गैस एवं अन्य जरूरी चीजों के लिए लंबी लंबी कतारें लग गयी हैं तथा भारी बिजली कटौती एवं खाने-पीने के बढ़ते दामों ने लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। आर्थिक संकट से श्रीलंका में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और प्रभावशाली राजपक्षे की इस्तीफे की मांग होने लगी। राष्ट्रपति गोटबाया ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने पिछले सप्ताह नये प्रधानमंत्री एवं युवा मंत्रिमंडल को नियुक्त किया। नयी सरकार राष्ट्रपति के अधिकारों में कटौती के लिए अहम संवैधानिक सुधार पेश करेगी।