यूक्रेन पर हमले के विरोध में यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियां रूसी ऊर्जा कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेच रही हैं। भारत सरकार ने देश की ऊर्जा कंपनियों- ओएनजीसी, बीपीसीएल, एचपीसीएल से रूसी कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने पर विचार करने को कहा।

यूक्रेन संकट को देखते हुए रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। यूरोपीय कंपनियां रूस में जो निवेश किया है उसे बेच रही हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की ऊर्जा कंपनियों से कहा है कि रूसी तेल कंपनियों में हिस्सेदारी। भारत रूस संबंध) खरीदें। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतिबंधों के तहत यूरोपीय तेल प्रमुख बीपी रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट में अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। सरकार ने राज्य संचालित ऊर्जा कंपनियों से यह हिस्सेदारी खरीदने की अपील की है। रोजनेफ्ट में बीपी की 19.75 फीसदी हिस्सेदारी है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने पिछले हफ्ते ओएनजीसी विदेश लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम रिसोर्स लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम की सहायक कंपनी प्राइज पेट्रोलियम लिमिटेड, ऑयल इंडिया और गेल इंडिया के साथ इस संबंध में अपने विचार व्यक्त किए थे। इस संबंध में रॉयटर्स द्वारा भेजे गए मेल का पेट्रोलियम मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया है।
पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई का विरोध किया है। हालांकि, भारत ने कभी रूस के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है। भारत को प्रतिदिन 50 लाख बैरल तेल की जरूरत है। पेट्रोल पंप पर हर रोज छह करोड़ रिटेल यूजर्स पहुंचते हैं।
बीपी सीईओ से मिले पुरी
मार्च के महीने में यूरोपीय तेल कंपनी बीपी के सीईओ बर्नार्ड लूनी ने पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात की थी। इस बैठक के बाद रोजनेफ्ट में हिस्सेदारी खरीदने की चर्चा जोरों पर है। बीपी ने इस खबर पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
सखालिन प्रोजेक्ट-1 में भी हिस्सेदारी खरीदने की बात
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑयल मिनिस्ट्री ने ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन की ओवरसीज इनवेस्टमेंट आर्म ओवीएल से एक्सॉन मोबिल कॉर्प की सखालिन-1 प्रोजेक्ट में 30 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने पर विचार करने को कहा था। एक्सॉन मोबिल कॉर्पोरेशन एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी है। सखालिन -1 रूस के सुदूर पूर्व में स्थित है। यहां से अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान और थाईलैंड जैसे देशों को तेल निर्यात किया जाता है। यहां रोजाना 2.73 लाख बैरल तेल का उत्पादन होता है। 1 मार्च को, एक्सॉन ने कहा कि वह रूस से पूरी तरह से अलग हो जाएगा और अपने 4 बिलियन डॉलर के निवेश को बेच देगा।
OVL के पास वैंकॉर्नेफ्ट. में 26% हिस्सेदारी है
ओएनजीसी विदेश लिमिटेड के पास वैंकॉर्नेफ्ट में 26 फीसदी हिस्सेदारी है। यह वेस्ट साइबेरियन फील्ड में स्थित है। इसके अलावा ऑयल इंडिया, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, बीपीआरएल और बीपीसीएल की एक इकाई के कंसोर्टियम के पास वैंकॉर्नेफ्ट में 23.9 फीसदी हिस्सेदारी है। पूर्वी साइबेरिया में तास-युर्याख में भी कंसोर्टियम की 29.9 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
डिस्काउंट पर खरीदने की तैयारी
एक सूत्र के हवाले से यह भी बताया गया है कि भारतीय कंपनियां रूसी संपत्ति को छूट पर खरीदने पर विचार कर रही हैं। इसे एक स्ट्रेस सेल के तौर पर देखा जा रहा है जहां काफी रिस्क है।