इससे पहले वे जनवरी माह में भारत आने वाले थे. वे यहां गुजरात में होने वाली एक समिट में भाग लेने वाले थे, लेकिन कोरोना केसेस बढ़ने की वजह से यह समिट कैंसिल हो गई थी. इस कारण वे नहीं आए थे. वे अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर पहली बार आधिकारिक यात्रा पर भारत आ रहे हैं.

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत की 3 दिवसीय आधिकारिक यात्रा करेंगे. नेपाल मीडिया ने बताया कि देउबा 1 से 3 अप्रैल तक भारत की यात्रा पर रहेंगे. उनकी यह यात्रा अहम है. दरअसल, इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी नेपाल की यात्रा पर रहेंगे. उनकी यात्रा 25 मार्च से 27 मार्च के बीच रहेगी. इसके तुरंत बाद नेपाल के पीएम भारत की यात्रा पर आएंगे.
देउबा की पिछले साल जुलाई में पीएम बनने के बाद यह पहली भारत यात्रा होगी. इससे पहले वे जनवरी माह में भारत आने वाले थे. वे यहां गुजरात में होने वाली एक समिट में भाग लेने वाले थे, लेकिन कोरोना केसेस बढ़ने की वजह से यह समिट कैंसिल हो गई थी. इस कारण वे नहीं आए थे. वे अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर पहली बार आधिकारिक यात्रा पर भारत आ रहे हैं.
चीनी विदेश मंत्री के दौरे के बाद होंगे भारत रवाना
हालांकि इससे पहले ग्लासगो में जलवायु सम्मेलन के दौरान दोनों राष्ट्राध्यक्ष मिल चुके हैं. देउबा की भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत होने के साथ ही दोनों देशों के बीच रेल संचालन के मुद्दे पर भी चर्चा होगी.चीनी विदेश मंत्री की नेपाल यात्रा के बाद नेपाल के पीएम देउबा की यह यात्रा बेहद अहम माानी जा रही है. चीनी विदेश मंत्री की नेपाल यात्रा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के कुछ मुद्दों पर हो रही है. हालांकि पड़ोसी देश चीन के नेताओं की नेपाल यात्रा के दौरान पहले भी भारत के खिलाफ दुष्प्रचार किया जाता रहा है. इसके मद्देनजर नेपाल के पीएम की भारत यात्रा अहम है.
रेलवे सेवा शुरू करने को लेकर हो सकता समझौता
माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान सीमा पार रेलवे सेवा शुरू करने को लेकर समझौता हो सकता है. देउबा की यह भारत यात्रा चीनी विदेश मंत्री की काठमांडू यात्रा के ठीक बाद होने जा रही है. इससे पहले ओली भारत आए थे लेकिन उनके कार्यकाल में भारत से संबंध बहुत खराब दौर में पहुंच गए थे. वहीं नेपाली संसद के अमेरिकी सहायता एमसीसी को मंजूरी देने के बाद चीन भड़का हुआ है. चीन का मानना है कि उसके बेल्ट ऐंड रोड परियोजना की काट के लिए अमेरिका ने इसे शुरू किया है.अमेरिकी सहायता को मंजूरी देने के बाद अब चीन बीआरआई प्रॉजेक्ट को शुरू करने को लेकर दबाव में बताया जा रहा है.