गुजरात का जातिगत समीकरण दूसरे राज्यों से बिल्कुल अलग है. इस राज्य में पिछड़ी जातियों की सबसे ज्यादा अधिकता है. राज्य की जनसंख्या में 52 फीसदी मतदाता पिछड़ा वर्ग की 146 जातियों से ही आते हैं.

गुजरात में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी में हलचल मची हुई है. राजस्थान के सिरोही से कांग्रेस समर्थक निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा द्वारा कथित तौर पर कांग्रेस विधायकों को हथियाने के बीजेपी के प्रयासों के कुछ दिनों बाद, ग्रैंड ओल्ड पार्टी कथित तौर पर हरकत में आई और नई दिल्ली में गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने दो पदयात्राओं की योजना बनाई है.
गुजरात की राजनीति में जातिगत समीकरण के बड़े मायने हैं. राज्य की 6 करोड़ की आबादी में से 52 फ़ीसदी पिछड़ा वर्ग की आबादी है. वहीं, प्रदेश में 146 जातियां पिछड़ा वर्ग समुदाय में आती है . ऐसे में पिछड़ा वर्ग की यह जातियां ही तय करती है किस सत्ता पर कौन काबिज होगा.
दरअसल, प्रदेश में सवर्ण मतदाताओं की आबादी सबसे कम है. वहीं, दूसरी तरफ राज्य में पटेल समुदाय की आबादी 16 फीसदी है लेकिन यह जाति सबसे ज्यादा ताकतवर मानी जाती है. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में गुजरात में 52 फ़ीसदी पिछड़ा वर्ग की जातियों को साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी तरीके से कोशिशों में जुट गए हैं.
गुजरात राज्य का जातिगत समीकरण
वहीं, गुजरात का जातिगत समीकरण दूसरे राज्यों से बिल्कुल अलग है. इस राज्य में पिछड़ी जातियों की सबसे ज्यादा अधिकता है. राज्य की जनसंख्या में 52 फीसदी मतदाता पिछड़ा वर्ग की 146 जातियों से ही आते हैं. जबकि 16 फ़ीसदी पाटीदार समुदाय जोकि सामान्य जाति से है.वहीं 16 फ़ीसदी के करीब क्षत्रिय समुदाय की आबादी मानी जाती है. हालांकि, प्रदेश में दलित आबादी केवल 7 फ़ीसदी है.
जानिए राज्य में जातिगत आबादी का प्रतिशत?
गुजरात में अगर जातिगत आबादी की बात करें तो ओबीसी 52% है, वहीं, क्षत्रिय -16%, पाटीदार -16%, दलित -7%,, आदिवासी -11%, मुस्लिम-9%. इसके अलावा अगर सामान्य जातियों की बात करे. जिसमें ब्राह्मण ,बनिया, कायस्थ महज पूरे प्रदेश में 5% है.
पिछड़ी जातियों पर बीजेपी ने बनाए हुए है विशेष नजर
बता दें कि प्रदेश में पिछड़ी जातियों पर बीजेपी अपनी विशेष नजर बनाए हुए है. वहीं, राज्य की जनसंख्या का 52 फ़ीसदी आबादी पिछड़ी जाति का ही है. इसी वजह से इस जाति समुदाय में बीजेपी ने विशेष पकड़ बनाने के लिए काफी प्रयासरत है. हालांकि, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अपने को ओबीसी समुदाय का बताते हैं. वहीं, गृहमंत्री अमित शाह गुजरात चुनाव को लेकर अब गंभीर हो गए हैं. इसलिए राज्य के जातिगत समीकरण को साधने के लिए बीजेपी ने रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.
गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय को लेकर कांग्रेस का प्लान
गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने ओबीसी समुदाय को लेकर विशेष प्रयास शुरू कर दिए हैं. जहां पर पिछले 27 सालों से सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरीके से जुट चुका है. ऐसे में कांग्रेस के पिछड़े वर्ग के बड़े नेता जगदीश ठाकोर और सुखराम राठवा को विशेष जिम्मेदारी भी दी गई है. इन अनुभवी नेताओं के तजुर्बे को ध्यान में रखते हुए सियासी समीकरण को साधने की कोशिश में कांग्रेस जुट गई है. वहीं, गुजरात की सियासत में जगदीश ठाकोर की पहचान एक तेजतर्रार नेता के रूप में होती है. कांग्रेस गुजरात में सत्ता पर वापसी के लिए ओबीसी दलित और आदिवासी वोट बैंक पर फोकस कर रही है. इसी वजह से 2022 के चुनाव से ठीक पहले ही जगदीश ठाकोर को कांग्रेस ने कमान सौंपी है. जबकि आदिवासी वोटों के लिए सुखराम राठवा पर विश्वास जताया है.