2019 में दोनों सार्वजनिक उपक्रमों को संयुक्त रूप से लगभग 70,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिए जाने के बाद एमटीएनएल के 2020-21 तक और बीएसएनएल के 2023-24 तक मुनाफे में आने की उम्मीद थी।

भारत ब्रॉडबैंड निगम लिमिटेड , महानगर टेलिफोन लिमिटेड को भारत संचार निगम लिमिटेड में मर्ज करने की दिशा में काम किया जा रहा है. इस मर्जर को लेकर संसदीय कमिटी ने कहा कि पहले एक स्पेशल पर्पल व्हीकल यानी एसपीवी का गठन किया जाना चाहिए. एमटीएनएल का कर्ज और असेट जो करीब 26500 करोड़ रुपए का है उसे इस एसपीवी को ट्रांसफर कर देने के बाद ही एमटीएनएल के ऑपरेशन को बीएसएनएल में मर्ज करना चाहिए. लोकसभा सदस्य शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर गठित संसद की स्थाई समिति ने कहा कि बीएसएनएल राजस्व कमाने के लिए कोशिश कर रही है और कंपनी को लेकर उम्मीद बनी हुई है.
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि घाटे में चल रही इस सार्वजनिक कंपनी को 5जी सेवाएं शुरू करने के लिए देश में निजी दूरंसचार कंपनियों के समान स्पेक्ट्रम आवंटित किए जाने चाहिए. भारत ब्रॉडबैंड निगम लिमिटेड और महानगर टेलिफोन लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर) पी के पुरवार ने समिति के समक्ष अपने प्रतिवेदन में कहा है कि बीएसएनएल 2025-26 तक लाभ में आ जाएगी. वहीं एमटीएनएल का बाजार में टिके रहना संभव नहीं है क्योंकि उसके ऊपर 26,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है जबकि राजस्व 1,300 करोड़ रुपए है.
एयर इंडिया की तर्ज पर विलय की तैयारी
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति सिफारिश करती है कि विभाग विभिन्न विकल्पों पर विचार करे जिसमें एयर इंडिया की तरह कर्ज और संपत्ति को अलग करना तथा परिचालन का विलय बीएसएनएल के साथ किया जाना शामिल है जैसा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ने सुझाव दिए हैं….’’
पब्लिक सेक्टर बैंकों पर हो सकता है बुरा असर
थरूर अध्यक्षता वाली कमिटी ने यह भी सुझाव दिया कि अगर सरकार एमटीएनएल को बंद करती है तो इसका पब्लिक सेक्टर बैंकों पर बुरा असर होगा. साल 2019 में बीएसएनएल और एमटीएनएल को 70 हजार करोड़ रुपए का राहत पैकेज बांटा गया था. उस समय अनुमान लगाया गया था कि महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड साल 2020-21 तक और भारत संचार निगम लिमिटेड साल 2023-24 तक मुनाफे में आ जाएगी.
ऑपरेशनल मुनाफे में दोनों कंपनी
एमटीएनएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि अगर भगवान भी नीचे आ जाएं और इस समस्या को सुलझाने का प्रयास करें तो भी इस कंपनी को रिवाइव करना मुश्किल है. यह इस कंपनी की सच्चाई है. संसदीय पैनल ने कहा कि रिवाइवल प्लान के बावजूद बीएसएनएल, एमटीएनएल अभी भारी घाटे में है. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बीएसएनएल का अनुमानित नुकसान 5986 करोड़ रुपए है, जबकि एमटीएनएल के लिए यह 3140 करोड़ रुपए है. हालांकि, ये कंपनियां इस समय ऑपरेशनल प्रॉफिट में हैं.
वीआरएस प्लान दोनों कंपनियों में लागू
सरकार ने दोनों कंपनियों के ऑपरेशनल खर्च को घटाने के लिए VRS प्लान को लागू किया है. इसका असर ये है कि बीएसएनएल का सालाना सैलरी खर्च 50 फीसदी और एमटीएनएल का सालाना सैलरी खर्च 90 फीसदी तक घट गया है. डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम का मानना है कि बीएसएनएल को नुकसान इसलिए हो रहा है क्योंकि 4जी सर्विस उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा लैंडलाइन रेवेन्यू में गिरावट आ रही है. साथ ही कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए कंपनी के पास फंड नहीं है.
बजट में बीएसएनएल के रिवाइवल के लिए 68 हजार करोड़ का ऐलान
बजट 2022 में सरकार ने भारत संचार निगम लिमिटेड के रिवाइवल प्लान के लिए 44720 करोड़ रुपए का ऐलान किया था. यह वित्त वर्ष 2022-23 के लिए है. इसके अलावा 4जी स्पेक्ट्रम के लिए 23270 करोड़ का ऐलान किया गया है. संसदीय पैनल ने कहा कि 4जी रोलआउट करने का फैसला शानदार है. इससे कंपनी को फायदा होगा. इसके अलावा कंपनी को 5जी स्पेक्ट्रम देने को भी कहा गया है जिससे आने वाले समय में यह प्राइवेट कंपनियों के साथ मैदान में उतरे.