न्यूजीलैंड की खाड़ी में एक बार फिर दो दर्जन से ज्यादा व्हेल्स की मौत हो गई है. यहां के संरक्षण विभाग ने इसकी पुष्टि की है. विभाग का कहना है, गोल्डन बे नाम से मशहूर खाड़ी में अब तक 29 व्हेल्स की मौत हो चुकी है

- रिपोर्ट के मुताबिक, खाड़ी के जिस हिस्से में व्हेल बुरी हालत में नजर आ रही हैं, उसे फेयरवेल स्पिट कहते हैं. यह हिस्सा एक पतली लाइन जैसा है. यहां 26 किलोमीटर लम्बी और 800 मीटर चौड़ी रेखा है जो समुंद्र को बांटती है. यहीं पर व्हेल आकर फंस रही हैं और दम तोड़ रही हैं. हालांकि यह कोई नई घटना नहीं है. इससे पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं.
- फेयरवेल स्पिट पर व्हेल क्यों दम तोड़ रही है, विशेषज्ञों के बीच यह बहस का सवाल रहा है. विशेषज्ञों का कहना है लम्बे समय से इतनी विशाल व्हेल महासागर के इस हिस्से में आकर क्यों अटक जाती हैं और दम तोड़ देती है, इसकी सटीक वजह आज नहीं समझी जा सकी है. विंटरबर्ग का कहना है, यह एक प्राकृतिक घटना है. आलम यह है कि जब भी इस हिस्से में मछली फंसती है तो बिना इन्हें नुकसान पहुंचाए समुंद्र में वापस लौटाना आसान नहीं होता.
- कुछ वैज्ञानिक मछलियों की मौत की वजह सोनार सिग्नल को मान रहे हैं. उनका कहना है, व्हेल शरीर से सोनार सिग्नल छोड़कर आसपास के इलाके में भोजन की जानकारी लेती है. दरअसल, सिग्नल छोड़ने पर यह दूसरे जीवों से लौटकर उसे वापस मिलता है. इस तरह इन्हें भोजन की जानकारी मिलती है. ऐसा होने पर बार-बार ये उसी दिशा में लहरों के साथ आगे बढ़ती हैं, लेकिन जब लहरे बंद हो जाती हैं तो ये उसी जगह पर फंस जाती हैं और वापस नहीं लौट पातीं.
- रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 15 सालों में 10 बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन सबसे बड़ा मामला 2017 में आया था जब 700 व्हेल यहां पर फंस गई थी. पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हुई थी. लम्बे समय तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी करीब 250 व्हेलों में दम तोड़ दिया था. वर्तमान की घटना में जो मछलियां फंसी हैं उन्हें पायलट व्हेल कहते हैं. ये आमतौर पर न्यूजीलैंड के आसपास महासागर में पाई जाती हैं.