नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा को सुख,समृद्धि और धन की देवी माना जाता है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.

चैत्र नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चैत्र मास में मनाई जाती है. इस साल 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे. इन नौ दिनों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. चैत्र नवरात्रि हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है. नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. क्योंकि ये नौ दिन ‘चैत्र’ के महीने में पड़ते हैं, इसलिए इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल 2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. इस दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में बहुत लोग व्रत भी करते हैं.
चैत्र घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना 2 अप्रैल को होगी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रतिपदा 1 अप्रैल को सुबह 11:53 बजे से शुरू होकर 2 अप्रैल को 11:58 बजे समाप्त होगी.
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल को सुबह 6.10 बजे से 8.31 बजे तक रहेगा. घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त इसी दिन दोपहर 12 बजे से 12.50 बजे तक रहेगा.
राहुकाल
2 अप्रैल को सुबह 9.17 बजे से 10.51 बजे तक राहुकाल रहेगा. हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
कलश स्थापना की विधि
कलश स्थापना के लिए आपको मिट्टी के बर्तन (कलश), पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, चावल, नारियल, लाल धागा, लाल कपड़ा और फूल की आवश्यकता होती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है. कलश स्थापना से पहले मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें और लाल कपड़ा बिछा दें. इसके बाद इस कपड़े पर कुछ चावल रख दें. जौ को मिट्टी के चौड़े बर्तन में बो दें. अब इस पर पानी से भरा कलश रखें. कलश पर कलावा बांधें. इसके अलावा कलश में सुपारी, एक सिक्का और अक्षत डालें. अब ऊपर लाल चुनरी में लपेटा हुआ नारियल रखें और अशोक या आम के पत्ते रखें. मां दुर्गा का ध्यान करें. इसके बाद दीप जलाकर पूजा शुरू करें.
पूजा का पहला दिन
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां दुर्गा का प्रथम रूप मानी जाने वाली शैलपुत्री सौभाग्य और शांति की देवी हैं. कहा जाता है नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से सभी प्रकार के सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.