
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने दुनिया भर में उथल पुथल मचा दिया है. कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस युद्ध को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच आज यानी शनिवार को एशिया में क्वाड के दो अहम साथियों, जापान और भारत के बीच अहम बातचीत होगी. अहम रणनीतिक मंथन और चर्चा के लिए जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फूमियो 19 मार्च की दोपहर भारत पहुंच रहे हैं.
पीएम का पदभार ग्रहण करने के बाद जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा पहली बार आज भारत आएंगे. जापानी पीएम 19 मार्च की दोपहर भारत पहुंचेंगे और रविवार 20 मार्च की सुबह रवाना हो जाएंगे. इस दौरान वह 14 वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. मिली जानकारी के अनुसार इस मौके पर जापान के पीएम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच रूस यूक्रेन के बीच चल रही जंग पर भी बातचीत हो सकती है.
इन मुद्दों पर हो सकती है बातचीत
जापान और भारत के प्रधानमंत्री के बीच नई दिल्ली में होने वाली अहम चर्चा में कई क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे शामिल हो सकते है. वर्तमान में रूसी सेना का आक्रमण झेल रहे यूक्रेन के ताजा हालात पर भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हो सकती है. इसके साथ एशिया में बढ़ते चीनी वर्चस्व पर भी दोनों देश के प्रधानमंत्री चर्चा कर सकते है. इस शिखर वार्ता में दोनों देश के प्रधानमंत्रियों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा कर उसे और मजबूत करने की बातचीत होगी.
रूस को लेकर अलग है राय
गौरतलब है कि यूक्रेन के रूस पर हमला करने के बाद जापान ने रूस पर कड़ा आर्थिक प्रतिबंध लगाया है और संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के पक्ष में मतदान भी किया है. वहीं दूसरी तरफ भारत ने अभी तक युद्ध में शामिल दोनों देशों में से किसी के पक्ष में कोई फैसला नहीं किया है और वो संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ हुए मतदान में भी भाग नहीं लिया था.
शाम में होगी मुलाकत
दोनों प्रधानमन्त्रियों के बीच शाम 5 बजे दिल्ली के हैदराबाद हाउस में मुलाकात होगी. बातचीत के बाद दोनों नेता जहां मीडिया कैमरों से रूबरू होंगे वहीं अनेक. अहम समझौतों पर भी दस्तखत क़ी तैयारी है.
भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों के बीच करीब साढ़े तीन साल बाद शिखर बैठक ही रही है. ध्यान रहे कि साल 2022 भारत और जापान के बीच राजनयिक रिश्तों की 70वीं सालगिरह का भी साल है. राजनयिक सूत्रों के मुताबिक मौजूदा अंतरराष्ट्रीय स्थितियों के मद्देनजर भारत और जापान अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं.