उत्तर प्रदेश राज्य

बांदा में मौलवियों ने मांगी अनुमति, कहा- लोगों की नजरों से बचाने के लिए तंग कपड़े नहीं, हिजाब जरूरी है

नसीम खान, मदरसा दारुल उलूम ने कहा की हिजाब हमारा पर्दा है. इसको करने में किसी हिंदुस्तानी को कष्ट नहीं होना चाहिए. कर्नाटक उच्च न्यायालय का हिजाब निर्णय संवैधानिक गारंटी की विपरीत है. अदालत से भेदभाव पूर्ण नीतियों को और मजबूत करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती.

उत्तर प्रदेश के बांदा में हिजाब को लेकर जारी विवाद के बीच कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला सुनाया. इस मामले में , मुस्लिम शिक्षक, छात्र-छात्राओं से इसपर बात की. बांदा में जामिया अरेबिया मदरसा, हथौरा के शिक्षक नजीब मौलाना ने हिजाब के मामले में कहा मुस्लिम बच्चियों को हिजाब पहनना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बच्चियों को लोगों की नजरों से बचाना जरूरी है, क्योंकि अगर तंग कपड़े पहन कर हमारी बच्चियां पढ़ने जाती हैं, तो अराजक तत्व की नजरें उन पर पड़ती है. इससे वो शर्मसार होती हैं, इसलिए हमें हिजाब को पहनना ही आवश्यक है.

शबनम अंसारी, मर्दन नाका प्रशिक्षण केंद्र संचालिका, बांदा ने कहा कि हिजाब मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों का हक है, स्कूल कॉलेजों की ड्रेस एक नियम है और दोनों अपनी जगह सही हैं. स्कूल के बाहर हिजाब में आया जा सकता है. लेकिन जब स्कूल परिसर में हो तो हिजाब उतारने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. यूनिफॉर्म में एक समानता का भाव रहता है, स्कूल कॉलेज परिसर के अंदर हिजाब नहीं पहनना चाहिए.

संवैधानिक गारंट के खिलाफ फैसला

नसीम खान, मदरसा दारुल उलूम ने कहा की हिजाब हमारा पर्दा है. इसको करने में किसी हिंदुस्तानी को कष्ट नहीं होना चाहिए. कर्नाटक उच्च न्यायालय का हिजाब निर्णय संवैधानिक गारंटी की विपरीत है. अदालत से भेदभाव पूर्ण नीतियों को और मजबूत करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती. सर को ढकने के लिए स्कारफ यूनिफार्म का उल्लंघन कैसे हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट को तत्काल दखल और इंसाफ देना चाहिए. बांदा जनपद के वरिष्ठ समाजसेवी शकील अहमद कहते हैं कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब के मामले में जो आदेश पारित किया है, उसमें एक एतराज है. मुस्लिम महिलाओं को, बच्चियों को बाहर तंग कपड़ो में नही जाना चाहिए. हिजाब एक पर्दा है उस पर कोई दूसरा लफ़ंगा छेड़खानी नहीं कर सकता है. क्योंकि महिलाएं, बच्चियां हिजाब में जाएंगे तो ऐसी हाल में कोई अमर्यादित घटना नहीं हो सकती है.

संविधान में राइ टू चॉइस…

हाफिज अहमद रजा, गोरे पुरवा दारुल उलूम अजी जिया मदरसा नारायणी बांदा ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का अदब करते हैं. हिंदुस्तानी होने के साथ-साथ हम मुसलमान भी हैं. हिंदुस्तानी होने के नाते और मुसलमान होने के नाते सबसे ऊपर कुरान है. संविधान में राइट टू चॉइस है, कुरान में स्त्रियों को पर्दा करने की बात कही गई है. इससे बहन बेटियां महफूज रहती हैं. स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए.

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Pooja Pandey

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