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मिसाइल गिरने जैसी एक्सीडेंटल घटनाओं से भारत-पाकिस्तान के रणनीतिक रिश्ते कैसे हो सकते हैं घातक

भारत पाकिस्तान के बीच जंग होने की स्थिति में परमाणु हथियारों के प्रयोग की संभावना बनी हुई है. मौजूदा माहौल को देखते हुए दोनों पक्ष एक-दूसरे की मंशा को लेकर बेहद संशय में हैं. जबकि नियंत्रण रेखा पर पिछले करीब डेढ़ साल से अधिक समय से सफलतापूर्वक संघर्ष विराम चल रहा है.

यूक्रेन संकट के बीच, जब विश्व पर परमाणु संकट गहराया हुआ है और मिसाइलें यूरोप के वायु क्षेत्र को भेद रही हैं, इस माहौल में भारतीय उपमहाद्वीप में कुछ खतरनाक होने की किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. हाल ही में एक क्रूज मिसाइल के दुर्घटनावश लॉन्च हो जाने से, युद्ध नहीं शायद टेस्टिंग के दौरान, पाकिस्तान में 124 किलोमीटर दूर खानेवाल जिले में मियां चन्नू नामक स्थान पर जा गिरी. भारत-पाक संबंधों की स्थिति को देखते हुए ये घटना गंभीर परिणाम देने वाली साबित हो सकती थी, जिसमें शायद परमाणु हथियार तक के प्रयोग की नौबत आ जाती.

यह घटना 9 मार्च 2022 को हुई थी और पाकिस्तान के डायरेक्टर इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस विंग ने सार्वजनिक तौर पर यह घोषणा की कि पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में लगभग 40,000 फीट की ऊंचाई पर एक अज्ञात उड़ती हुई चीज दिखी है. पड़ोसी देश के इस बयान में बताया गया कि 9 मार्च को शाम 6:43 बजे, पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) के वायु रक्षा संचालन केंद्र द्वारा भारतीय क्षेत्र की ओर से एक तेज गति से उड़ने वाली वस्तु को देखा गया. अपने प्रारंभिक रास्ते से यह वस्तु अचानक से पाकिस्तानी क्षेत्र की ओर बढ़ गई और पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए शाम 6:50 पर मियां चन्नू के पास आकर गिरी. हालांकि इसी के साथ ही बयान में ये भी स्पष्ट किया गया कि यह एक सुपरसोनिक उड़ने वाली वस्तु, शायद एक मिसाइल थी, लेकिन हथियार से लैस नहीं थी. बता दें कि पाकिस्तान में मियां चन्नू नाम की जगह सरगोधा से 240 किलोमीटर दूर है जो पड़ोसी देश के रणनीतिक संसाधनों का केंद्र है.

पाकिस्तान में गलती से ब्रह्मोस गिरी थी

इसके डेढ़ दिन बाद, भारत सरकार ने प्रारंभिक जांच के बाद, इस घटना पर खेद व्यक्त किया और विस्तृत जांच के आदेश दिए. अपनी स्थिति साफ करते हुए भारत सरकार ने बयान जारी कर कहा कि 9 मार्च, 2022 को, नियमित रखरखाव के दौरान, एक तकनीकी खराबी के कारण मिसाइल की आकस्मिक फायरिंग हुई. पता चला है कि मिसाइल पाकिस्तान के एक क्षेत्र में गिरी है. सरकार ने इस हादसे को गंभीरता से लेते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है. रक्षा मंत्रालय ने भी अपने बयान में इस घटना को खेदजनक बताया और इस बात पर राहत जताई कि दुर्घटना में कोई जान माल की हानि नहीं हुई है. इस घटना को सनसनीखेज बनाने के प्रयास अभी गति पकड़ रहे थे कि इसी बीच भारत सरकार के बयान ने ऐसी घटनाओं की संवेदनशीलता, पारदर्शिता, समयबद्धता और पूर्ण धारणा की आवश्यकता का उदाहरण देते हुए अटकलों पर विराम लगा दिया.

इस स्तर पर आकस्मिक फायरिंग के विवरण में जाना महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि मामले की विस्तृत जांच अभी लंबित है और भारत की तकनीकी एजेंसियां निस्संदेह रूप से इसे पूरा करेंगी. फिलहाल जनता की जिज्ञासा को शांत करने के लिए, यह जानना पर्याप्त हो सकता है कि पाकिस्तान में जो उड़ने वाली वस्तु गिरी, वह 400 किलोमीटर की दूरी की रेंज वाली एक ब्रह्मोस मिसाइल थी, जो तकनीकी जांच के दौरान गलती से लॉन्च हो गई थी. पाकिस्तान ने अपने बयान में दावा किया है कि मिसाइल जहां उसके क्षेत्र में गिरी, उसे भारत के सिरसा से फायर होने के बाद ही लगातार ट्रैक किया जा रहा था.

परमाणु हथियारों को लेकर भारत ‘नो फर्स्ट यूज’ के सिद्धांत का पालन करता है

अपने दुश्मन देश की एक सीमा क्षेत्र में एक साख रेंज के भीतर हवा में उड़ान भरने वाली वस्तुओं की निगरानी पूरी दुनिया में सुरक्षा का मानदंड माना जाता है और इस वजह से यह मुमकिन है कि पाकिस्तान इस पर नजर रख रहा हो. भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में यह निगरानी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार और इन्हें लॉन्च करने के विभिन्न साधन मौजूद हैं.

वहीं परमाणु हथियारों को लेकर पाकिस्तान के पास कोई ‘होल्ड बैक’ सिद्धांत नहीं है और वह कई बार खुलेआम दावा कर चुका है कि अगर युद्ध की स्थिति में भारतीय सेना उसकी सीमा पर आगे बढ़ती है तो उसे रोकने के लिए वह इनके प्रयोग से हिचकिचाएगा नहीं. हमारे क्षेत्र में अपनी एकाग्रता को लक्षित करके पाकिस्तान परमाणु हथियारों के ट्रिगर को लेकर अपनी खुशफहमी बनाए रखना चाहता है. कई मायनों में, पाकिस्तान उतना ही तर्कहीन व्यवहार करता नजर आता है, जितना कि ये हथियार खुद हैं.

आकस्मिक दुर्घटनाएं घातक साबित हो सकती हैं

लिहाजा भारत पाकिस्तान के बीच जंग होने की स्थिति में परमाणु हथियारों के प्रयोग की संभावना बनी हुई है. मौजूदा माहौल को देखते हुए दोनों पक्ष एक-दूसरे की मंशा को लेकर बेहद संशय में हैं. जबकि नियंत्रण रेखा पर पिछले करीब डेढ़ साल से अधिक समय से सफलतापूर्वक संघर्ष विराम चल रहा है, दोनों के बीच के टकराव की संभावना से कोई इनकार नहीं कर सकता जो भारतीय उपमहाद्वीप के समग्र रणनीतिक वातावरण में तनाव बढ़ा देगा. पुलवामा और उसके बाद की घटनाओं को याद करते हुए इस टकराव के नतीजों की कोई गारंटी नहीं ली जा सकती है. हालांकि, इसी बीच अप्रत्याशित घटनाओं की भी संभावना है जो कि तेजी से ‘नो वॉर, नो पीस’ के दृष्टिकोण को बदलकर तनाव के हालात पैदा कर दें जिसके बाद हर उड़ने वाली वस्तु को संदेह के साथ देखा जाएगा.

यह सर्वविदित है कि दुनिया भर में रणनीतिक प्रणालियों के संबंध में दुर्घटनाओं की कई अप्रकाशित घटनाएं हुई हैं. यह भी एक कारण है कि सभी लॉन्च की पूर्व-चेतावनी संभावित पार्टियों को दी जाती है, इसमें विरोधी भी शामिल हैं और ऐसी घटनाओं में रणनीतिक रुचि रखने वाले भी. हालांकि, एक आकस्मिक प्रक्षेपण ऐसी किसी भी चेतावनी से रहित है क्योंकि ऐसी दुर्घटनाएं किसी छिपे इरादे से नहीं होती हैं. जहां दो देशों के बीच तनाव पहले से ही चल रहा हो, वहां इस तरह की आकस्मिक दुर्घटनाएं और भी घातक साबित हो सकती हैं. यूक्रेन युद्ध को लेकर यूरोप में मौजूदा तनाव के बीच रूसी नेतृत्व ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना जताई है. हालांकि ये बयान किसी और चीज से ज्यादा मनोवैज्ञानिक दबाव के लिए हो सकते हैं, लेकिन यह भी सच है कि कोई भी इस तरह की धमकियों को हल्के में नहीं ले सकता है.

भारत-पाक के बीच रणनीतिक वातावरण तटस्थ नहीं हैं

सौभाग्य से, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव मौजूदा माहौल में कम है. हालांकि, दोनों देशों के बीच कोई राजनीतिक सौहार्द नहीं है और यहां तक कि एक अर्ध-औपचारिक ट्रैक 2 संवाद भी नहीं है. दोनों के बीच एक अनौपचारिक ट्रैक 2 संवाद जरूर है जिसमें परमाणु डोमेन के अलावा कुछ रणनीतिक विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और राजनयिक शामिल हैं जो कि अकादमिक ज्यादा प्रतीत होता है. भारत-पाक के बीच रणनीतिक वातावरण तटस्थ नहीं हैं और अप्रत्याशित खतरों के आधार पर तेजी से बिगड़ सकता है. यदि डिलीवरी प्लेटफॉर्म से जुड़ी दुर्घटनाएं बिगड़े हुए माहौल के साथ जुड़ जाती हैं तो इसके परिणाम गंभीर होने की संभावनाएं गई गुना बढ़ सकती हैं.

वैसे वर्तमान घटना को दोनों पक्षों द्वारा परिपक्व तरीके से संभाला गया है. पाकिस्तान में एक अजीब राजनीतिक माहौल के बावजूद भारत के विरोध में अनावश्यक उकसावा देखने को नहीं मिला है. भारत का गलती को तुरंत स्वीकार करना और खेद की अभिव्यक्ति वास्तव में सबसे सामयिक था. हालांकि, अधिक स्पष्टता के लिए यह राजनीतिक क्षेत्र से परे एक जुड़ाव की मांग करता है. उपकरण की प्रकृति और इसमें शामिल कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम को देखते हुए, पाकिस्तान की घटना की संयुक्त जांच की मांग को स्पष्ट रूप से भारतीय पक्ष स्वीकार नहीं करेगा. ऐसे में अभी तक के घटनाक्रम को लेकर एक त्वरित और व्यापक जांच की डिक्लासिफाइड रिपोर्ट जरूर पड़ोसी देश के साथ साझा की जा सकती है, लेकिन साथ ही जरूरत एक क्लासिफाइड रिपोर्ट तैयार कर भारत के रणनीतिक ढांचे में प्रमुख हिस्सेदारों के साथ चर्चा करने की भी होगी.

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Pooja Pandey

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