देशभर में सनसनी बन चुकी फिल्म द कश्मीर फाइल्स देखकर हिमाचल में बसे विस्थापित कश्मीरी पंडितों का दर्द भी छलक उठा है।

फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’की चर्चा इन दिनों हर तरफ हो रही है। लेकिन इस बीच खास बात तो ये है कि लोग खुद को इस फिल्म की कहानी से कनेक्ट कर पा रहे है। जिसका सीधा असर इसके बॉक्स ऑफिस पर भी देखने को मिला है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा अब यह महज एक फिल्म ना रहकर आम लोगों की भावना बन चुकी है। इसी बीच फिल्म के राइटर ‘सौरभ पांडे’ ने एक इंटरव्यू में अपना अनुभव साझा किया है।
गौरतलब है कि आजकल हर तरफ फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ का जादू देखने को मिल रहा है। फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री , स्टार कास्ट के साथ-साथ फिल्म के राइटर सौरभ पांडे भी चर्चा का केंद्र बन गए है। उन्होंने अपने लाइफ का किस्सा शेयर किया है। सौरभ ने बताया कि बचपन में पढ़ा था कि कश्मीर धरती का स्वर्ग है। फिर इस फिल्म की कहानी लिखते समय उन्हें पता लगा कि पूरा परसेप्शन ही गलत था। यह जो स्वर्ग है, वह तो नर्क से भी गंदा है। वहां पर नरसंहार हो रहा है, लोग मारे जा रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि वहां का एक समाज जो सबसे शिक्षित वर्ग था, जो सबसे शांति से रहने वाला समाज था, उस समाज को वहां से प्रताड़ित करके भगा दिया गया और हम चुप थे। जब लोगों का इंटरव्यू करते थे, तब उनका और बच्चों का दर्द सुनना बड़ा मुश्किल होता था।
फिल्म का एक डायलॉग आज लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। सौरभ ने इस फेमस डायलॉग ‘टूटे हुए लोग बोलते नहीं, उन्हें सुनना पड़ता है’ के पीछे की कहानी भी बताई। उन्होंने कहा कि कश्मीर के कैंप में रहने वालों के बदन पर छाले पड़ गए थे। जो घरों में रहते थे, उनके बच्चे सड़कों पर सोने को मजबूर थे। यह सब लिखते समय ऐसा लग रहा था कि उनके साथ एक जिंदगी जी रहा हूं। इस दर्दनाक मंजर को पर्दे पर उतरना आसान नहीं था।
आपको बता दें कि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है। फिल्म 11 मार्च को रिलीज हुई थी। 12 करोड़ के खर्चे में बनी फिल्म ने महज 5 दिन में करीब 60 करोड़ से ऊपर की कमाई कर ली है। अभी तक यह मूवी साल की सबसे बड़ी हिट बनकर सामने आ रही है। इस मूवी ने लोगों के दिलों में खास जगह बना ली है।