एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने का दावा किया था.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हैदराबाद से सांसद असुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन अपनी सियासी जमीन तैयार नहीं कर सकी है. राज्य में एआईएमआईएम के ज्यादातर प्रत्याशी 5000 के वोटों के आंकड़े को पार करने में विफल रहे और राज्य में एआईएमआईएम को जनता ने नकार दिया. खासतौर से मुस्लिम मतदाताओं ने एआईएमआईएम के बजाए समाजवादी पार्टी को वोट दिया और राज्य में उसके 24 मुस्लिम विधायक विधानसभा में पहुंचे हैं.
असल में राज्य की 403 विधानसभा सीटों में एआईएमआईएम ने अपने 100 से ज्यादा प्रत्याशी उतारे थे. एआईएमआईएम ना केवल मुस्लिमों को टिकट दिया बल्कि हिंदू प्रत्याशियों को भी मैदान में उतारा था. वहीं राज्य में एआईएमआईएम को एक फीसदी से भी कम वोट मिले हैं. अगर बात देवबंद की जाए तो मुस्लिम बहुल इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है और यहां पर एआईएमआईएम उमैर मदनी को टिकट दिया था और यहां के मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया और उन्हें इस सीट पर महज 3500 वोट मिले हैं. जबकि दूसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी आया है. इसके साथ ही आजमगढ़ सीट पर एआईएमआईएम प्रत्याशी कमर कमाल को 5532 वोट मिले हैं.
राज्य में एआईएमआईएम नहीं खोल सकी खाता
असल में बिहार विधानसभा चुनाव के बाद एआईएमआईएम को जोश चरम था और उसका दावा था कि राज्य में वह इस बार अपना खाता जरूर खोलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका है. वहीं एआईएमआईएम को पश्चिम बंगाल चुनाव में भी बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. फिलहाल राज्य में एआईएमआईएम को 0.49 फीसदी वोट मिले हैं. वहीं अपनी रणनीति के तहत ओवैसी ने उन्हीं सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जो मुस्लिम बहुल थीं. जानकारी के मुताबिक पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इनमें से 37 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.