भारतीय जनता पार्टी अगर चुनाव जीतती है तो एक बार फिर योगी आदित्यनाथ ही मुख्यमंत्री बनेंगे. योगी के सीएम बनने ही उनके नाम कई उपलब्धि दर्ज हो जाएगी.

उत्तर प्रदेश में सात चरणों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम कुछ समय बाद आने शुरू हो जाएंगे. लगभग सभी एक्जिट पोल में यूपी में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के आसार दिख रहे हैं. हालांकि कुछ ही घंटों में यह साफ हो जाएगा कि यूपी के लिए योगी ‘उपयोगी’ हैं या फिर जनता को ‘साइकिल की सवारी’ पसंद है. भारतीय जनता पार्टी अगर चुनाव जीतती है तो एक बार फिर योगी आदित्यनाथ ही मुख्यमंत्री बनेंगे. योगी के सीएम बनने ही उनके नाम कई उपलब्धि दर्ज हो जाएगी. आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा, जब कोई मुख्यमंत्री अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता पर काबिज होगा.यूपी में अगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ सीएम की कुर्सी पर बैठे जो पहले से ही तय है, तो पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद अपने दल की सत्ता में वापसी कराने वाले वह पहले मुख्यमंत्री होंगे. साथ ही योगी मुख्यमंत्री बने तो 2007 के बाद पहले ऐसे नेता होंगे, जिन्होंने बतौर सीएम उम्मीदवार विधानसभा का चुनाव लड़ा है.इसके साथ-साथ योगी आदित्यनाथ जीतने के साथ ही इस मिथक को भी तोड़ देंगे कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा आता है, वह फिर सत्ता में वापसी नहीं कर पाता. लेकिन सीएम योगी ने अपने पांच सालों के कार्यकाल में कई बार नोएडा का दौरा किया. उन्होंने इस मिथक को नज़रअंदाज करके विपक्ष पर भी निशाना साधा.इस मिथक की शुरुआत 1988 से हुई जब सीएम के तौर पर वीर बहादुर सिंह नोएडा गए और संयोग से उनकी कुर्सी चली गई. इसके बाद एनडी तिवारी सीएम बने और 1989 में नोएडा के सेक्टर 12 में नेहरू पार्क के उद्घाटन में पहुंचे और कुर्सी चली गई. फिर कल्याण सिंह और मुलायम सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ. इसके बाद से ही यह अंधविश्वास सिर चढ़कर बोलने लगा. सीएम के तौर पर राजनाथ सिंह ने नोएडा जाने से परहेज किया और एक फ्लाईओवर का उद्घाटन नोएडा की बजाय दिल्ली से किया. बाद में 2007 में मायावती और 2012 में अखिलेश ने सत्ता संभाली और पूरे कार्यकाल नोएडा से दूरी बनाए रखी. हालांकि 2017 में योगी ने सीएम पद संभाला तो एक नहीं तीन-तीन बार नोएडा का दौरा किया और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.