विजय माल्या का परिवार लंदन में अपने आलीशान घर पर कब्जा बरकरार रख सकेगा. ब्रिटेन की एक अदालत ने व्यवस्था दी है कि एक पारिवारिक ट्रस्ट कंपनी द्वारा ऋण का पुन: वित्तपोषण स्वीकार्य लेनदेन है.

शराब कारोबारी विजय माल्या का परिवार लंदन में अपने आलिशान घर पर कब्जा बरकरार रख सकेगा। ब्रिटेन की एक अदालत ने व्यवस्था दी है कि पारिवारिक ट्रस्ट कंपनी द्वारा कर्ज की रिफाइनेंसिंग शराब कारोबारी के खिलाफ जारी विश्वव्यापी जब्ती आदेश का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। माल्या परिवार के ट्रस्ट से जुड़ी ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड की कंपनी रोज कैपिटल वेंचर्स ने लंदन हाई कोर्ट में इस बाबत अर्जी दाखिल की थी। इस पर पिछले शुक्रवार को सुनवाई हुई। इस ट्रस्ट के पास मध्य लंदन में कार्नवाल टेरेस अपार्टमेंट है। जज सिमोन रेनी क्यूसी ने फैसला सुनाया कि रिफाइनेंसिंग एक स्वीकार्य लेनदेन है। इसका मतलब लंदन की एक प्रमुख संपत्ति में निवेश करने से है। न्यायाधीश ने कहा, प्रस्तावित लेन देन उचित है। बताते चलें कि माल्या और उनका परिवार मार्च 2017 से ही कार्नवाल टेरेस अपार्टमेंट पर अपना कब्जा बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। माल्या की मां ललिता और बेटा सिद्धार्थ इस मामले में सह अभियुक्त हैं
यूबीएस के साथ लंबे समय से जारी है विवाद
स्विस बैंक यूबीएस के साथ लंबे समय से जारी कानूनी विवाद में माल्या के इस घर को खाली कराने का आदेश दिया गया था. माल्या ने इस आदेश के अनुपालन पर रोक लगाने की मांग की थी. माल्या को इस स्विस बैंक को 2.04 करोड़ पाउंड का कर्ज लौटाना है. माल्या के लंदन स्थित इस घर में उनकी 95 साल की मां रहती हैं.
माल्या ने बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाया है
माल्या मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया था. वह भारत में 9,000 करोड़ रुपए के कर्ज की हेराफेरी और धनशोधन के मामले में वांछित है. यह कर्ज किंगफिशयर एयरलाइंस को कई बैंकों ने दिये थे. 65 साल का माल्या ब्रिटेन में फिलहाल जमानत पर है. ऐसा समझा जाता है कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया से जुड़े एक अलग मामले में देश में शरण देने के मुद्दे पर गोपनीय कानूनी कार्रवाई का समाधान होने तक वह जमानत पर रह सकता है.