बांदा। चित्रकूटधाम मंडल में 67 करोड़ की लागत से बनाए गए अधिकांश सामुदायिक शौचालयों में ताले जड़े हैं। जिससे इनका इस्तेमाल ग्रामीण नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद भी इनके रखरखाव के नाम पर हर माह करीब एक करोड़ रुपये खर्च दिखाए जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज 2 से बनाए जा रहे है. जहां व्यक्तिगत शौचालय में 4 ब्लॉकों के प्रगति खराब होने पर एसडीओ पंचायत को काम की प्रगति सुधारने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, जिले में 1030 हजार से ज्यादा शौचालय बनाने का लक्ष्य है. ऐसे में 1809 अभ्यर्थी को दूसरी किस्त मिल पाई है. गांव को खुले में शौच मुक्त बनाए रखने को एसबीएम ग्रामीण फेज 2 के तहत लोगों के घरों में व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है, वहीं, जिले को 10723 व्यक्तिगत शौचालय बनाने का लक्ष्य मिला था लेकिन अभी तक उनका निर्माण पूरा नहीं हो पाया. लक्ष्य के सापेक्ष 6204 लोगों को पहली किस्त ₹6000 लाभार्थियों को दे दिए गए हैं.बांदा जिले में 8 में से 4 विकासखंड ठंडा जसपुरा, महुआ और नरैनी में लाभार्थियों को दूसरी किस्त जारी नहीं हुई है. जहां पर दूसरी किस्त में भी लाभार्थियों को 6000 रुपए दिए जाते हैं, तो वहीं, दूसरी किस्त जारी करने में चंदवारी सबसे आगे है. वहीं, इसके लिए डीपीआरओ राम किशोर त्रिवेदी ने 1 हफ्ते में लाभार्थियों को दूसरी किस्त जारी के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही दूसरी किस्त न देने में फिसड्डी ब्लॉक के एसडीओ पंचायत को वीडियो को भी निर्देश जारी किए गए हैं.
बुंदेलखंड की स्थिति बहुत ही दयनीय- डीपीआरओ
डीपीआरओ के मुताबिक, लोक निर्माण की प्रगति का हाल जाना तो बिसंडा की प्रगति बेहद खराब है, इस दौरान वास्तव में बुंदेलखंड की स्थिति बहुत ही दयनीय है. जहां उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार लाख प्रयास करें लेकिन अधिकारियों के आलस के चलते बेकार के काम के प्रति लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों के चलते आज 10030 के उलट में आज मात्र 1809 शौचालय बन पाए हैं. जहां बाकी बहुत सारे अधूरे पड़े हुए हैं उनकी अभी दूसरी किस्त से नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि क्या काम कराया जनता ने ब्लॉक स्तर, ग्रामीण स्तर पर कोई भी कर्मचारी या अधिकारी रिपोर्ट अपनी शासन को नहीं भेज रहा है, जिससे उनकी दूसरी किस्त दी जा सके.
विभागीय काम में लापरवाही के चलते मेरे द्वारा की जाएगी निलंबन की प्रक्रिया- डीएम
वहीं, डीएम अनुराग पटेल कहते है कि जो शख्स इस विभागीय काम में लगा है ऐसे में अगर कोई लापरवाही करेगा तो उसके निलंबन की कार्रवाई मेरे द्वारा की जाएगी. इसके बाद शासन को बरखास्तगी के लिए पत्र लिखा जाएगा. उन्होंने कहा कि यह सच है कि शौचालय जिस टारगेट पर जनता को देना था, बनवाना था यह तो वही है जैसे, सूर्य को दीपक दिखाना जबकि 100727 के उलट मात्र हजार ही बने है. इस दौरान डीएम ने कहा कि यहां पर ऐसा लगता है की प्रचार प्रसार में कमी है या फिर कहीं जनता से कुछ विभागीय कर्मचारी अधिकारी डिमांड करते है या फिर गांव के लोग इसकी रकम कम होने की वजह से प्रयास नही कर रहे है, जिसके चलते वे खुले में शौच कर रहे है जो कि गलत है. चूंकि पीएम मोदीजी का सपना सभी शौचालय में जाने को लेकर है.